लघु कथा लेखन- सौरभ जंगल में अकेला .... साथ छूट गए .... जंगल का भयंकर वातावरण .... घर जाने की जल्दी .... आदिवासी से मुलाकात और ....
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सौरभ जंगल में अकेला .... साथ छूट गए .... जंगल का भयंकर वातावरण .... घर जाने की जल्दी .... आदिवासी से मुलाकात और
लघु कथा लेखन इस प्रकार है:
सौरभ अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था| दिन-भर मेहनत मज़दूरी करने के बाद अपना और परिवार का पेट पल रहा था| एक दिन घर लौटते हुए उसको रास्ते में ही अंधेरा हो गया| सौरभ जंगल में अकेला भटकने लगा| उसको कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि वह अब क्या किया जाए | हर दिन कोई न कोई उस रास्ते से गुजरता था परंतु भंयकर तूफान के कारण सब साथ छुट गए| उसे जंगल के भयंकर वातावरण से दूर से कुछ आवाज़ आई|
बारिश की वजह से उसे समझ नही आ रहा था कि किस चीज़ की आवाज़ है| घर जाने की जल्दी में उसका पांव फिसला और एक खाई में गिर गया | तभी किसी चलने की आवाज़ आई | वह एक आदिवासी था| अब सौरभ के मन से डर निकल चुका था| उसने आदिवासी से मुलाकात की और सहायता मांगी | आदिवासी से उसकी बात सुनी और उसे जंगल से बहार निकलने में मदद की |
कथा लेखन।
Explanation:
एक बार सौरभ जंगल में अपने भाई के साथ गया था, एक खास फूल के तलाश में। परंतु उस समय अचानक से चारों तरफ से ज़ोर हवा वहने लगी और आसमान में काले बादल आने लगे। देखते ही देखते वारीश हो गई और परिवेश ने भयंकर रूप ले लिया।
इसी बीच सौरभ अपने भाई से साथ छूट गया और डर के मारे वो जंगल में बसे एक छोटी सी गाँव की और चला गया। वहाँ उसे आदिवासी मुलाक़ात करना पड़ा और वो उनसे कुछ खाने व रहने के लिए जगह मांगने लगा जब तक परिवेश ठीक न हो जाए।