लघुकथा परोपकार
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नदि के किनारे एक किशान अपनि पत्नी ओर दो छोटे बच्चो के साथ रहता था । वो अपने खेत मे काम करके अपना जिवान आगे चलाता था ओर नदि मेसे जो कुच मछलि मिलति है उसे अपने परिवार के साथ चटाकेदार पकवान बनाके एंजोय करते थे ।
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नदि के किनारे एक किशान अपनि पत्नी ओर दो छोटे बच्चो के साथ रहता था । वो अपने खेत मे काम करके अपना जिवान आगे चलाता था ओर नदि मेसे जो कुच मछलि मिलति है उसे अपने परिवार के साथ चटाकेदार पकवान बनाके एंजोय करते थे । वो लोग कि परिस्थिति अछि नहि थि वो लोग कहि पे अछि जगह पे जाये और अछा पकवान खाये एसा सोच भि नहि सकते थे ।
कुच दिन बित गया बारिस का समय सुरु हुवा खेत मे बोने के लिये बिज नहि थे उस किशान के पास वो गाव मे मदद मगने के लिये जाता है लेकिन वो पहले सेहि काफि लोग से पैसा उधार ले चुका था इस लिये उस किशान कि कोइ मदद नहि कर रहा था । वो अपने घर लोट आता है ओर सोच मे पद गया के इस बार मे क्या करु केसे मे खेती करु ।
बो किशान रोने लगता है हतास हो जाता है लेकिन उस का दिमाग काम नहि कर रहा होता है कि क्या करु केसे खेति करु । कुच दिन तो घर मे जो कुच था उससे जिवान बिताया लेकिन वो अजान भि खताम होने लगा । घर मे पैसा थे वो भि खताम होने को आये । वो किशान बहुत परेशान हो रहा था ।
उसे निंद नहि आ रहि थि किशान ने नदि मे कुद के मर जाने का सोचा । वो सभि लोग सो रहे थे तब दबे पाव से वो घर से निकाल गया ओर पास मे एक चटान थि वहा पे वो गया । वो किशान वहा से अपने खेत ओर घर को देख रहा होता है । तब एक आवाज आति है तो उस कि नजर एक जहाज पे पदति है वो जहाज मे एक मछवारा था वो जखमि हो गया था उस का जहाज तुट गया था ।
वो मछवारा मदद के लिये चिल्ला रहा था उस किशान से वो मछवारे का रोना देखा नाहि गया । वो किशान तुरत हि वहा से उस मछवारे के पास जाता है उसे उस जहाज से बहार निकालता है ओर अपने घर उस मछवारे को ले चलता है । मछवार बेहोश हो गया था इस लिये वो किशान उस मछवारे का इलाज करने लगा सुबह होते हे मछवारे होश आता है और उस किशान को धन्यावाद कहता है अपने मेरा जिवान बचाया हे अपने मुजे बचा के नया एक जिवन दिया है।
मेतो उस समुद्र मे रहके एसा हि सोचता था कि अब मे नहि बचुगा मे मर जावु गा मेरे सारे साथि एक एक करके मर गये । भगवान के परोपकार से मेहि बचा हु और मुजे समुद्र कि तुफानि लहरोने से नदि कि और भेज दिया ओर मे बच गया । लेकिन तुम क्यु अपनि जान देने के लिये उस चटान पे चदे थे । किशान ने कह कि मेरे खेत मे बोने के लिये कुच नहि है । गाव मे कुच साथि के पास गया उनि लोगो ने मदद के लिये इनकार कर दिया । इस लोये मे मर जाने के को सोचा ।
वो मछवारा कहने लगता हे सिरफ इतनि बात पे तुम जान देने जारहे थे । मेरे जहाज पे काफि सारे बिज है अलग अलग प्रकार के जो चाहे वो तुम ले लो । वो मछवारे कि बात सुनेके किशान कि अंख नम हो गइ । उस जहाज से वो किशान कुच बिज ले आता है ओर खेत मे बो देता है ।
कुच समय के बाद तुफान बंध हो जाता है ओर वो मछवारा वहा से चाला जाता है । वो किशान अपनि पत्नी को कहता है कि भगवान ने सहि समय पे पतरोपकार किया ओर उस मछवारे को हमारि मदद करने के लिये हमारे पास भेज दिया ।
परोपकार से मन को शांति मीलती है । परोपकार से व्यक्ती का नाम संसार स्थापित हो जाता है । महाराज शिवि, रन्तिदेव आदि ने प्राणों का मोह छोड़ के परोपकार करके दिखलाया था. इसलिए वे अमर हो गए|
Explanation:
Some spellings could be wrong because my auto correct is defective