लघूत्तरात्मक प्रश्न-
कबीर ने सतगुरु को महत्त्व क्यों दिया है?
‘माया दीपक नर पतंग' में कौनसा अलंकार है?
'यह तन विष की बेलरी' कवि ने ऐसा क्यों कहा
कवि ने गुरु को दाता क्यों कहा है?
नरात्मक प्रश्न-
कबीर ने कौनसे गुरु की नित्य वंदना करने को
Answers
(1) कबीर ने सतगुरु को क्यो महत्व दिया है?
उत्तर — सतगुरु ही होता जो मनुष्य के अज्ञान रूपी अंधकार को दूर उसके जीवन ज्ञान रूपी प्रकाश का दीपक जलाता है। तब ही मनुष्य जीवन की सार्थकता को समझ पाता है, अतः कबीर ने सतगुरु को महत्व दिया है।
(2) ‘माया दीपक नर पतंग’ में कौन सा अलंकार है?
उत्तर — उपरोक्त वाक्य में ‘रूपक अलंकार’ है। ‘रूपक अलंकार’ की परिभाषा के अनुसार जब गुणों की समानता के कारम ‘उपमेय’ को ही ’उपमान’ बना दिया अर्थात उनमें भिन्नता न हो तो वहाँ पर ‘रूपक अलंकार’ होगा। यहाँ पर ‘माया‘ उपमेय को ‘दीपक’ का उपमान बना दिया गया है, और ‘नर’ उपमेय को ‘पतंग’ का उपमान बना दिया है। ‘माया’ का ‘दीपक’ पर और ‘नर’ का ‘पतंग’ पर आरोप है, अतः यहा ‘रूपक’ अलंकार होगा।
(3) ‘ये तन की विष की बेलरी’ ऐसी कवि ने क्यों कहा है?
उत्तर — ‘ये तन विष की बेलरी’ ऐसा कवि कबीरदास जी ने इसलिये कहा है क्योंकि ये तन विषय-वासनाओं के प्रति आसक्ति रखता है। ये तन सदैव भोग-विलास की कामना करता है। ये सब दुर्गुणों के समान हैं, और दुर्गुण विष के समान है। अतः इस सब विषय-वासनाओं में आसक्ति के कारण ये शरीर विष की बेल के समान हो गया है।
(4) कवि ने गुरु को दाता क्यों कहा है?
उत्तर — कवि ने हमें वो ज्ञान देता है, जो अनमोल है। ज्ञान के बढकर कोई धन नही है। विश्व की समस्त संपदा से कीमती ये ज्ञान गुरु हमें प्रदान करता है, अतः गुरु ही सबसे बड़ा दाता है। इसीलिये कवि कबीर ने गुरु को दाता कहा है।
(5) कबीर ने कौन से गुरु की नित्य वंदना करने को कहा है?
उत्तर — कबीर ने ऐसे गुरु की वंदना करने के लिये कहा है जो हमें परमात्मा को पाने का मार्ग बतलाता हो। जो हमें आध्यात्मिक ज्ञान प्रदानकर हमारे ज्ञान चक्षु खोलता हो। हमारे अंदर के अंधकार को दूर कर ज्ञान की दीप जलाता हो। ऐसे गुरु की वंदनाकरनी चाहिये।
Answer:
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