Social Sciences, asked by nareshpanditlax123, 4 months ago

लघु उत्तरीय प्रश्न
39. अल्लाउद्दीन खिलजी द्वारा प्रारंभ किए गए दाग एवं हुलिया प्रथा क्या थे?​

Answers

Answered by anujsharma44181
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Answer:

प्राचीन काल में अलाउद्दीन खिलजी जो दिल्ली का सुल्तान था। ... घोड़े को भी पहचानने का एक तरीका इन्होंने निकाला था, घोड़े को अलाउद्दीन खिलजी के जो सैनिक थे वह चिन्हांकित करते थे दागते अर्थात घोड़े को दागने की प्रथा भी अलाउद्दीन खिलजी ने प्रारंभ की थी

Answered by sadiaanam
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Answer:

प्राचीन काल में अलाउद्दीन खिलजी जो दिल्ली का सुल्तान था। घोड़े को भी पहचानने का एक तरीका इन्होंने निकाला था, घोड़े को अलाउद्दीन खिलजी के जो सैनिक थे वह चिन्हांकित करते थे दागते अर्थात घोड़े को दागने की प्रथा भी अलाउद्दीन खिलजी ने प्रारंभ की थी।

Explanation:

मध्यकालीन भारत में अलाउद्दीन खिलजी नाम का एक शासक था जो दिल्ली का सुल्तान था।वह अपने साम्राज्य विस्तार के लिए बहुत ही लालायित था वह एक वीर, निडर और महत्वाकांक्षी राजा था। वह अपने साम्राज्य को बहुत विशाल करना चाहता था तथा विशाल करने के लिए यह आवश्यक था कि वह अपने प्रशासन में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करें क्योंकि जब तक प्रशासक ईमानदारी से कार्य नहीं करेंगे तब तक के साम्राज्य का विस्तार होना असंभव था इसलिए उन्होंने विशेषत: सेना में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए "हुलिया प्रथा" का प्रचलन शुरू किया।

वास्तव में यह सैनिकों के चेहरे का लेखा-जोखा या व्योरा होता था जिसमें सैनिकों के चेहरे से संबंधित सारे तथ्य लिखे जाते थे उनके नाक कैसी हैं उनके आंखें कैसी है उनके कान कैसे हैं उनका रंग कैसा है वह काले हैं या गोरे हैं वे पतले हैं मोटे हैं इन सारे शरीर के अंगों का विशेषकर चेहरे का हुलिया अर्थात बनावट का लेखा जोखा रखा जाता था इसी को हुलिया प्रथा कहते हैंउस समय सैनिकों के चेहरे का ही विवरण तैयार किया जाता था ताकि सैनिकों को आसानी से पहचाना जा सके इसलिए भ्रष्टाचार मुक्ति के उद्देश्य से हुलिया प्रथा प्रारंभ की गई थी।

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