लघु उत्तरीय प्रश्न
अल्लाउद्दीन खिलजी द्वारा प्रारंभ किए गए दाग एवं हुलिया प्रथा क्या थे?
मध्यकालीन इतिहास के चार प्रमुख साहित्यिक स्रोतों के नाम लिखें।
पृथ्वी की आंतरिक संरचना को जानने में भूकंपीय तरंग का क्या महत्व है?
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
चोल सामाज्य में स्थानीय स्वशासन की महत्वपूर्ण विशेषताओं को लिखें।
शेरशाह द्वारा जनकल्याण के लिए कौन-कौन से कार्य किए गए थे, वर्णन
निर्वाचन आयोग के कार्यों का वर्णन करें।
Answers
Answer:
1.घोड़े को दागने की प्रथा
2. तुजुक-ए-बाबरी
हुमायूंनामा
तबकात-ए-अकबरी
तारीख-ए-शेरशाही
अकबरनामा
आईने-अकबरी
मुन्तखाब-उत-तवारीख
तुजुक-ए-जहांगीरी
3.भूकंपीय तरंगों का अध्ययन पृथ्वी की आंतरिक परतों का संपूर्ण चित्र प्रस्तुत करता है। भूकंप का अर्थ है- पृथ्वी का कंपन। ... क्योंकि ये तरंगे धरातल के साथ-साथ चलती है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना को जानने के लिये P और S तरंगों से विशेष रूप से सहायता मिलती है।
4.उपर्युक्त दीर्घकालिक प्रभुत्वहीनता के पश्चात् नवीं सदी के मध्य से चोलों का पुनरुत्थन हुआ। इस चोल वंश का संस्थापक विजयालय (850-870-71 ई.) पल्लव अधीनता में उरैयुर प्रदेश का शासक था। विजयालय की वंशपरंपरा में लगभग 20 राजा हुए, जिन्होंने कुल मिलाकर चार सौ से अधिक वर्षों तक शासन किया। विजयालय के पश्चात् आदित्य प्रथम (871-907), परातंक प्रथम (907-955) ने क्रमश: शासन किया। परांतक प्रथम ने पांड्य-सिंहल नरेशों की सम्मिलित शक्ति को, पल्लवों, बाणों, बैडुंबों के अतिरिक्त राष्ट्रकूट कृष्ण द्वितीय को भी पराजित किया। चोल शक्ति एवं साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक परांतक ही था। उसने लंकापति उदय (945-53) के समय सिंहल पर भी एक असफल आक्रमण किया। परांतक अपने अंतिम दिनों में राष्ट्रकूट सम्राट् कृष्ण तृतीय द्वारा 949 ई. में बड़ी बुरी तरह पराजित हुआ। इस पराजय के फलस्वरूप चोल साम्राज्य की नींव हिल गई। परांतक प्रथम के बाद के 32 वर्षों में अनेक चोल राजाओं ने शासन किया। इनमें गंडरादित्य, अरिंजय और सुंदर चोल या परातक दि्वतीय प्रमुख थे।इसके पश्चात् राजराज प्रथम (985-1014) ने चोल वंश की प्रसारनीति को आगे बढ़ाते हुए अपनी अनेक विजयों द्वारा अपने वंश की मर्यादा को पुन: प्रतिष्ठित किया। उसने सर्वप्रथम पश्चिमी गंगों को पराजित कर उनका प्रदेश छीन लिया। तदनंतर पश्चिमी चालुक्यों से उनका दीर्घकालिक परिणामहीन युद्ध आरंभ हुआ। इसके विपरीत राजराज को सुदूर दक्षिण में आशातीत सफलता मिली। उन्होंने केरल नरेश को पराजित किया। पांड्यों को पराजित कर मदुरा और कुर्ग में स्थित उद्गै अधिकृत कर लिया। यही नहीं, राजराज ने सिंहल पर आक्रमण करके उसके उत्तरी प्रदेशों को अपने राज्य में मिला लिया।राजराज ने पूर्वी चालुक्यों पर आक्रमण कर वेंगी को जीत लिया। किंतु इसके बाद पूर्वी चालुक्य सिंहासन पर उन्होंने शक्तिवर्मन् को प्रतिष्ठित किया और अपनी पुत्री कुंदवा का विवाह शक्तविर्मन् के लघु भ्राता विमलादित्य से किया। इस समय कलिंग के गंग राजा भी वेंगी पर दृष्टि गड़ाए थे, राजराज ने उन्हें भी पराजित किया।
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