लघु उत्तरीय प्रश्न
(क) चातक पुत्र के अधीर होने पर पिता ने उसे क्या समझाया?
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चातक पुत्र के aadhir होने पर पिता ने उसे समझाया घनश्याम की सेवा हम और किसी का जगह नहीं करते यही हमारी कुल का व्रत है इस व्रत के कारण अपने गोत्र में न तो किसी की मृत्यु हुई और ना ही दूसरा अनर्थ
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चातक पुत्र के अधीन होने पर पिता ने उसे समझाया कि बेटा अधीर ना हो समय सदा एक सा नहीं रहता। घनश्याम के सिवा हम और किसी का जल ग्रहण नहीं करते यही हमारे कुल का व्रत है इस व्रत के कारण अपने गोत्र में ना तो किसी की मृत्यु हुई ना ही कोई दूसरा अनर्थ धैर्य रख अपने इस व्रत के कारण ही पानी बरसता है और धरती माता की गोद हरी भरी होती है या व्रत इस तरह नष्ट कर देने की वस्तु नहीं बेटा पृथ्वी का यह निर्जल उपवास है इसे पुणे से उसे जीवनदान मिलेगा पूजन का पूरा स्वाद और पूरी तृप्ति पाने के लिए थोड़ी सी सुदर्शन करना अनिवार्य ही नहीं आवश्यक भी है।
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