- ‘लहरें उठती-गिरती और सँभलती हैं?' स्पष्ट कीजिए।
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Kyuki pani ki babav ke karan samalti hai
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लहरें उठती-गिरती और सँभलती हैं पंक्ति को मानव जीवन से जोड़ा गया है |
जिस प्रकार मौसम हर ऋतु में बदलता है , और नई-नई ऋतु का आनन्द देता है | हर ऋतु अपने हिसाब से आती है और सब को खुशियाँ देती है और चली जाती है | हर ऋतु के जाने के बाद नई ऋतु आती है |
उसकी प्रकार मानव जीवन में खुशियाँ आती , दुःख आते है और संभल कर चली जाती है | मनुष्य जीवन में भी यह सब चलता रहता है , कई बार बहुत दुःख और मुश्किलें आती है लेकिन एक समय के बाद वह चली जाती है|
यह सब लहरों की तरह आती है और संभल कर चली जाती है | हमें हमेशा हिम्मत रख कर हमेशा आगे बढ़ना चाहिए |
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