Hindi, asked by aryaparge, 5 months ago

Likhit pariksha hi mulyankan ka uchit marg hai nibandh in hindi
350 words

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Answered by dd1612668
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Answered by sainiinswag
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मूल्यांकन से मिलते जुलते कई शब्द प्रचलित हैं जैसे मूल्य निर्धारण, आत्म परीक्षण, आत्म विश्लेषण, सर्वे आदि।

जब हम अपने स्वयं के गुण-अवगुण के बारे में विचार करते हैं तो उसे आत्म निरीक्षण कहेंगे और जब हम किसी अन्य व्यक्ति / स्कॉलर , वस्तु , भूमि , भवन , प्राणी,मशीन आदि के गुण- अवगुण पर विचार करते है तो उसे मूल्यांकन कहेंगे।

मूल्यांकन एक बहुआयामी शब्द है। मूल्यांकन को हम दो श्रेणियों में विभक्त कर सकते हैं.

1- सीमित अर्थ में मूल्यांकन

2- व्यापक अर्थ में मूल्यांकन

1-सीमित अर्थ में मूल्यांकन

(1) जहां किसी शिक्षण संस्था में प्रवेश के लिये प्रवेश परीक्षा होगी वहां उसकी उत्तर पुस्तिकाओं के जांचने की क्रिया को मूल्यांकन कहा जाता है।

(2) प्रवेश के पूर्व यदि मौखिक परीक्षा होती है तो उसे भी मूल्यांकन ही कहा जायेगा.

(3) किसी भी शिक्षण संस्था में शिक्षण / प्रशिक्षण अवधि में अर्ध वार्षिक / वार्षिक /सेमेस्टर की परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं का जांचना मूल्यांकन कहा जायेगा.

(4) जहां कहीं छात्रो /प्रशिक्षणार्थियों की साप्ताहिक / मासिक /द्विमासिक लिखित / मौखिक परीक्षा परीक्षा होती है तो उसे सतत मूल्यांकन कहा जाता है।

(5) जहां कहीं प्रतियोगी परीक्षा होती है तो उसकी उत्तर पुस्तिकाओं को जांचने की क्रिया को मूल्यांकन कहते हैं।

(6) जहां कहीं प्रतियोगी परीक्षा के बाद मौखिक परीक्षा ली जाती है तो उसे भी मूल्यांकन कहा जायेगा.

(7) जब किसी उच्च शिक्षण संस्थान / विश्वविद्यालय / डीम्ड विश्वविद्यालय / टेक्निकल संस्थान /महाविद्यालय आदि में प्रवेश की लिखित परीक्षा होती है तो उनकी उत्तर पुस्तिकाओं का परीक्षण मूल्यांकन कहा जायेगा।

(8) सभी प्रकार की लिखित /मौखिक परीक्षाओं में जहां अंक/ ग्रेड दिये जाते हैं मूल्यांकन कहा जायेगा.

2-व्यापक अर्थ में मूल्यांकन

(1) किसी बंद शीशी / बोतल / बैग / कंटेनर / पैकेट /बोरी /बोरा /पीपा आदि के उपर मूल्य लिखने को भी मूल्यांकन कहा जाता है।

(2) किसी चल / अचल सम्पत्ति की कीमत आँकने को भी मूल्यांकन कहा जाता है।

(3) किसी पशु / पक्षी /प्राणी /जीव /कीट आदि की कीमत निर्धारण को मूल्यांकन कहा जाता है।

(4) किसी मशीन / उपकरण की कीमत निर्धारण को मूल्यांकन कहा जाता है।

(5) किसी सेवा की कीमत निर्धारण करना मूल्यांकन कहा जायेगा. जैसे उपग्रह की सेवा

(6) बाजार में क्रेता द्वारा क्रय की जाने वाली वस्तु ,चल/ अचल सम्पत्ति का मूल्यांकन कर ही वस्तु क्रय करता है।

(7) किसी चल /अचल सम्पत्ति का क्रय – विक्रय उस सम्पत्ति के मूल्यांकन के बाद ही संपन्न होता है।

(8) जिस प्रकार छात्रों का परीक्षण /मूल्यांकन शिक्षकों द्वारा होता है उसी प्रकार कानून का परीक्षण / मूल्यांकन न्यायालय में होता है।

(9) शासन / प्रशासन का मूल्यांकन जनता द्वारा किया जाता है।

(10) शिक्षकों का सबसे अच्छा मूल्यांकन उसके छात्रों द्वारा ही संभव है।

(11) शासन और प्रशासन का मूल्यांकन करने के लिये मीडिया सदैव तत्पर रहती है।

(12) मीडिया का मूल्यांकन सदैव जनता /शासन /प्रशासन/Press Council of India करता है।

(13) किसी विभाग का विभागाध्यक्ष अपने अधीनस्थ कर्मचारियों का सतत मूल्यांकन कर परिणाम उसकी सेवा पंजिका/Service roll में अंकित करता है।

(14)कवि , लेखक , साहित्यकार सभी का मूल्यांकन करता है।

(15) किसी विभाग की समीक्षा भी एक प्रकार का मूल्यांकन ही कहा जायेगा।

(16) आर्थिक विश्लेषण या आर्थिक समीक्षा को भी मूल्यांकन कहा जायेगा।

(17) राष्ट्र की प्रगति का पता भी प्रत्येक क्षेत्र के मूल्यांकन के बाद ही चलता है।

(18) किसी भी प्रकार की ग्रेडिंग मूल्यांकन पर ही आधारित होती है।

(19)किसी भी फैक्ट्री में उत्पादन की गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिये क्वालिटी कंट्रोल ऑफीसर नियुक्त होते हैं।

(20) साहित्य, ग्रंथ , पुस्तकों आदि का मूल्यांकन विद्वानों द्वारा किया जाता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि हर क्षेत्र सतत मूल्यांकन की आवश्यकता है।

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