line by line explanation of hindi poem "megh Aye" by sarveshwar dayal sharma
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I was so easy u can do it
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मेघ आये बड़ी ही अच्छी कविता है । मेघ आये में प्राकृतिक सौन्द्रिय प्रकट किया गया है । इसमें बदलो को दामाद प्रतीत किया गया है । मेघों के आने से हवाएं मस्ती से चलने लगती है । घरो के खिड़की दरवाजे खुलने लगे है ।
ऐसा प्रकट हो रहा है मानो सभी अथिति को देखने के लिए किवाड़ खोल रहे है । आंधी ऐसे जोर से चल रही है जैसे गाँव की युवतियाँ घागरा उठाए तेज से दौड़ रही है । पीपल का बूढ़ा वृक्ष ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो जैसे बादलों से शिकायत कर रहा हो ।
आकाश में बिजली चमकने लगी है । धीरे धीरे बारिश भी आने लगी । रिमझिम रिमझिम बुँदे बरस रही है ।
★ AhseFurieux ★
ऐसा प्रकट हो रहा है मानो सभी अथिति को देखने के लिए किवाड़ खोल रहे है । आंधी ऐसे जोर से चल रही है जैसे गाँव की युवतियाँ घागरा उठाए तेज से दौड़ रही है । पीपल का बूढ़ा वृक्ष ऐसा प्रतीत हो रहा है मानो जैसे बादलों से शिकायत कर रहा हो ।
आकाश में बिजली चमकने लगी है । धीरे धीरे बारिश भी आने लगी । रिमझिम रिमझिम बुँदे बरस रही है ।
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