Hindi, asked by iaggarwal602, 9 hours ago

lines on neem vriksh in sanskrit​

Answers

Answered by gd2679495
0

Answer:

Explanation:

नीम का वृक्ष किसी भी मौसम में उग जाता है यह बहुत ही तेजी से बढ़ता है। इसे उगने को लिए ज्यादा पानी की आवश्यक्ता नहीं होती है। इसके पत्ते हरे रंग के होते हैं और तना काले भूरे रंग का होता है और बहुत मजबूत होता है। यह पूरे विश्व में पाया जाता है। यह 15-20 फीट की ऊँचाई तक बढ़ता है। इसके बहुत से औषधीय गुण है। प्राचीन काल से लेकर अब तक इसका प्रयोग बहुत सी बिमारियों के ईलाज के लिए किया जाता है। यह कड़वा होता है लेकिन बहुत ही लाभकारी है।भूमिका- नीम का पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर है। यह स्वाद में कड़वा होता है लेकिन इसके गुण मीठे होते हैं। यह 15-20 मीटर तक ऊँचा होता है और हर मौसम में उगने वाला होता है। इसे उगने के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। वसंत में इसके पते झड़ जाते हैं और उसके बाद इसपर सफेद रंग के फूल खिलते हैं जिनमें से निंबौली निकलती है जो कि नीम का फल है। नीम का पेड़ पूरे विश्व में पाया जाता है लेकिन यह भारत में ज्यादा देखने को मिलता है।

नीम का प्रयोग और उसके लाभ-

1. नीम की पत्तियाँ चबाने से रक्त साफ होता है।

2. नीम का तेल जले हुए घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है।

3. नीम का तेल मसूड़ो की सूजन और दाँतो की सड़न को खत्म करता है।

4. नीम के तेल से दाँतों के दर्द में भी आराम मिलता है।

5. नीम की ताजा पत्तियाँ पानी में डालकर नहाने से त्वजा अच्छी रहती है।

6. नीम का तेल पालतू जानवरों को कीटाणुओं से सक्रंमित होने से बचाता है।

7. नीम के बीज और पत्तों से बनी चाय किडनी और मुत्राशय से जुड़ी बिमारियों में आराम दिलाती है।

8. नीम के पत्ते, छाल, बीज आदि दवाईंया बनाने के प्रयोग में लाए जाते हैं।

9. नीम सौंदर्य को बढ़ावा देता है।

10. नीम की पत्तियाँ डालकर उबाले हुए पानी से आँखे धोने से जलन खत्म होती है।

please mark me as brainlist

Answered by preethagodlin
1

अमृतमाला का यह पाठ आपको संस्कृत भाषा के शब्दभंडार को बढ़ाने में सहायक होगा।

हमारे अमृतमाला कोर्स के पिछले अध्याय मे हमने शेर को जीवित करने वाली अद्भुत कथा का श्रवण किया था आज हम इस पाठ में वृक्षों के नाम संस्कृत में सीखेंगे।

पीपल, बड़, बेंत, बांस, ताल, देवदार, आक, मदार, बबूल, जान्टी, खेजड़ी, नीम, शीशम, इमली, महुआ, आँवला, कटहल, कदम्ब, जामुन, ढाक, नारियल, बेल, साल, सेमल, आदि वृक्षों के नाम संस्कृत में सीखेंगे।

संस्कृत साहित्य में प्रकृति का बेहद सुंदर व आकर्षक वर्णन मिलता है। संस्कृत काव्य व साहित्य को जानने के लिए हमें वृक्षों के संस्कृत नाम अवश्य आने चाहिए।

किसलयम् कोंपल मूलम् जड वृन्तम् डंठल पत्रम् पर्णम् पत्ता लता बेल वल्लरिः दारु काष्ठम् लकडी काननम् वनम् अरण्यम् विपिनम् अटवी

Similar questions