Lines on sardi ka mousam
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वर्षा ऋतु के बाद शीत ऋतु अपना रंग दिखाना आरंभ करती है। सरदी बढ़ने लगती है। यह ऋतु लोगों को बहुत भाती है। गर्मी की तपन और वर्षा ऋतु के कीचड़ से इस ऋतु में आकर राहत मिलती है। हल्की-हल्की ठंड में चाय पीने का अपना ही अलग आनंद होता है। रंग-बिरंगे ऊनी वस्त्रों से युक्त लोगों को देखने बड़ा सुखकारी होता है।यह ऋतु सिर से पाँव तक मनुष्य को ठंड से ठिठूरा देती है। स्थान-स्थान पर लोग आग सेककर अपनी ठंड भगाते हुए नज़र आते हैं। लोग विभिन्न तरह से ठंड भगाने का प्रयास करते हैं। घर में औरतें व बच्चे पूरे दिन धूप का आनंद उठाते है। इस समय मूंगफली खूब बिकती है। बड़े बूढ़े ठंड में धूप सेकते हुए और मूंगफली खाते हुए दिखाई दे जाते हैं।न ऊनी वस्त्रों के व्यापरियों के लिए तो यह ऋतु लाभकारी है। इस समय ऊनी वस्त्रों की बिक्री बढ़ जाती है। ठंड के कारण लोग ऊनी वस्त्रों की खरीदारी करते हैं। बढ़ते हुए फैशन ने भी ऊनी वस्त्रों को फैशन की ओर खींच लिया है। लोग आज ओवरकोट, जैक्ट, रेडिमेट कीमती और सुंदर स्वेटर खरीदते हैं।इस ऋतु में लोगों का सुबह-सवेरे काम पर निकलना मुश्किल होने लगता है। अत्यधिक ठंड से व कोहरे से जन-जीवन अस्त-व्यस्त होने लगता है। औरतें ऊन का प्रयोग कर अपने परिवारजनों के लिए विभिन्न तरह की स्वेटरें बनाती हुई दिखाई दे जाती है। सुबह सवेरे कोहरे का आंतक छाया रहता है। रेल यात्रा और हवाई यात्राएँ पर इसका खासा असर दिखाई पड़ता है। कुछ समय के लिए इस प्रकार की यात्राएँ स्थागित करनी पड़ती हैं। बच्चों को कोहरा बहुत ही अच्छा लगता है। हर चीज़ ठंड के कारण जमी हुई सी प्रतीत होती है। अत्यधिक ठंड के कारण विद्यालयों में भी अवकाश घोषित कर दिया जाता है। घरों में रहकर भी ठंड से छुटकारा नहीं मिल पाता है। ठंड से हाथ-पैर जमे हुए से प्रतीत होते हैं। गर्म पेय पदार्थों को पीकर लोग ठंड भगाने का प्रयास करते हैं। लोग घरों में ही हीटर, अंगीठी आदि जलाकर कुछ राहत पाते हैं। दीपावली, दशहरा, नवरात्रे, दुर्गा पूजा, भईया दूज, क्रिसमिस आदि त्योहार इसी ऋतु में आते हैं। ठंड के बाद भी इन त्योहारों को मनाने का अपना ही आनंद होता है।स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ऋतु उत्तम होती है क्योंकि इस ऋतु में पाचन शक्ति मजबूत होती है। इस ऋतु में धनिया, मेथी, पालक, मटर, गाजर, बैंगन, गोभी, मूली, सेब, अंगूर, अमरूद, संतरे इत्यादि सब्जियों व फलों की बहार आ जाती है। इस ऋतु में दिन छोटे व रातें बड़ी हो जाती हैं इसलिए लोग दिन के ढलने से पहले ही घरों में पहुँचना का प्रयास करते हैं। इस मध्य में पूरा भारत सर्दी के कारण ठिठूरने लगता है। लोगों के घरों में ऊनी कपड़े व रजाई निकल जाती हैं। धूप का असली मजा इसी ऋतु में ही लिया जा सकता है। इन सब के बावजूद भी सर्दी हमें प्रसन्नता से भर देती है। गर्म चाय के साथ रजाई में बैठकर इस ऋतु का आनंद लेने का अपना ही मजा है। किसी ने सही ही लिखा है-आयी सरदी, आयी सरदी ठिठुरन साथ में लायी सरदी
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