लक्ष्मीबाई ने लुट्टी से अपने मन की किन भावनाओं
को ब्यका क्रिया
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महारानी लक्ष्मी बाई का जन्म 1835 में बनारस में हुआ था। उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे था वे महाराष्ट्र के ब्राह्मण थे लक्ष्मी बाई का जन्म का नाम मनु बाईं था। अंतिम पेशवा के भाई जीवनजी आपा पेशवाई समाप्त होने पर काशी चले आए इनके पास ही मोरोपंत तांबे काशी में रहते थे कुछ समय पश्चात आपा जी का देहांत हो गया तांबे जी विवश हो आपा जी के भाई बाजीराव पेशवा के पास बिठूर चले गए।वही अपना जीवन यापन करने लगे चार 5 वर्ष की आयु में मनु बाई की माता जी की मृत्यु हो गई तांबे जी ही ने मनु बाई का पालन पोषण किया पेशवा भी मनु बाई से विशेष प्रेम करता था मनु बाई पेशवा के दत्तक पुत्र नाना साहब के साथ खेलना लिखना पढ़ना घोड़े पर चढ़ना शिकार खेलना तलवार चलाना आदि सब कार्य सिकती थी। जो कार्य नाना साहब करते उसी का वह भी अनुकरण करती थी नाना साहब से भी शीघ्र सब कार्य में निपुणता प्राप्त कर लेती थी एक दिन नाना साहब को हाथी पर चढ़ता देख मनु बाई भी हाथी पर चढ़ने का आग्रह करने लगी पेशवा ने कहा तेरे भाग्य में हाथी की सवारी कहां है मनु बाई को बात चुभ गई उसने तुरंत उत्तर दिया मेरे भाग्य में एक हाथी नहीं 10 हाथी लिखे हैं वह हीन भावना कभी नहीं रखती थी थोड़े ही समय में वह लिखने पढ़ने के साथ युद्ध विद्या में भी पारंगत और निपुण हो गई