Hindi, asked by livrevoke, 4 months ago

लक्ष्मण और परशुराम की चारित्रिक विशेषताओं में आप क्या अंतर पाते हैं पाठ के अधार पर

बताइए?​

Answers

Answered by Priyanshikhatod
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उत्तर:

तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस से लिए गए ‘राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद’ में परशुराम महाक्रोधी, उग्र एवं अति आत्मप्रशंसक यानी अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनने वाले मुनि हैं। वे स्वयं को प्रचंड क्रोधी, महापराक्रमी, बाल ब्रह्मचारी एवं क्षत्रिय कुल का घातक बताते हैं। इस बायोलेपन के कारण उन्हें अपने बड़प्पन का भी ध्यान नहीं रहता, तभी वे लक्ष्मण से वाद-विवाद कर बैठते हैं, जबकि बड़प्पन की निशानी यही है कि छोटों के प्रति विनम्र रहा जाए। इसके विपरीत लक्ष्मण के चरित्र में वाक्चातुर्य एवं तर्कशीलता जैसे गुण तो हैं, किंतु इनके साथ-साथ उनमें ज़बान से बड़ों की बराबरी करने का दोष भी है। वे ऐसे-ऐसे व्यंग्य-बाण छोड़ते हैं, जिनसे परशुराम जी क्रोध में उफन पड़ते हैं। इस प्रसंग के आधार पर यह कहना गलत न होगा कि अगर श्री राम जैसेnविनम्र व संयमशील व्यक्ति बीच में न होते और विनम्रता के साथ परशुराम जी से क्षमा-याचना न करते, तो जनक-दरबार किसी अप्रिय घटना का साक्षी बन जाता।

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