लक्ष्य-प्राप्ति में यह आवश्यक है कि आप अपनी शारीरिक और बौद्धिक शक्तियों
का अधिकतम प्रयोग करें। दूसरों के सहारे बैठनेवाले कभी सफल नहीं होते
आजकल के नौजवान सदा दूसरों का मुंह ताका करते हैं या समय और भाग्य को
कोसा करते है। उचित अवसर की तलाश व्यक्ति को करनी पड़ती है. फिर अपने
विवेक, संयम और परिठाम से दृढ संकल्प हो आगे बढ़ें तो लक्ष्य स्वयं ही
आपकी ओर बढ़ेगा। कुछ लोग तो सदा ही समाज और समय से नाराज रहते है।
वे परिस्थितियों के प्रतिकूल होने की आड़ में अपने आलस को ओदे रहते है।
छात्रावस्था में व्यावहारिकता का अभाव अकसर देखा जाता है। ऐसे में
अनुभवशील व्यक्तियों के अनुभवों का लाभ उठाकर आगे बढ़ने में समझदारी
कौन सफल नहीं होता है ?
कौन समय और भाग्य को कोसता है ?
कुछ लोग किससे नाराज रहते हैं ?
छात्रावस्था में किसका अभाव देखा जाता है ?
आगे बढ़ने के लिए क्या करना समझदारी है ?
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Sorry I don't know the answer
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