Hindi, asked by noob21321, 1 month ago

लक्ष्य तक पहुंचे बिना पद्यांश​

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Answered by my9150818
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Explanation:

लक्ष्य तक पहुँचे बिना, पथ में पथिक विश्राम कैसा। लक्ष्य है अति दूर दुर्गम मार्ग भी हम जानते हैं किंतु पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते हैं जब प्रगति का नाम जीवन, यह अकाल विराम कैसा।। लक्ष्य तक... । धनुष से जो छूटता है बाण कब मग में ठहरता देखते ही देखते वह लक्ष्य का ही बेध करता लक्ष्य प्रेरित बाण हैं हम, ठहरने का काम कैसा। लक्ष्य तक... । बस वही है पथिक जो पथ पर निरंतर अग्रसर हो, हो सदा गतिशील जिसका लक्ष्य प्रतिक्षण निकटतर हो । हार बैठे जो डगर में पथिक उसका नाम कैसा।। लक्ष्य तक... बाल रवि की स्वर्ण किरणें निमिष में भू पर पहुँचतीं, कालिमा का नाश करतीं, ज्योति जगमग जगत धरती ज्योति के हम पुंज फिर हमको अमा से भीति कैसा।। लक्ष्य तक… 1. इस काव्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए। (क) लक्ष्य-साधना (ख) चलते चलो (ग) पथिक विश्राम कैसा (घ) मत ठहर तू 2. आशय स्पष्ट कीजिए- किंतु पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते हैं। (क) हम मार्ग की बाधाओं से प्रसन्न होते हैं। (ख) बाधाओं से जूझना ही हमारा लक्ष्य है। (ग) मार्ग की बाधाओं को हम स्वीकार करके चलते हैं । (घ) हम बाधाओं की परवाह नहीं करते। 3. लक्ष्य प्रेरित बाण हैं हम-आशय स्पष्ट कीजिए। (क) हम लक्ष्य को नष्ट करके रहेंगे। (ख) हम लक्ष्य की बाधाओं को नष्ट करके रहेंगे। (ग) हम लक्ष्य की ओर चले हुए पथिक हैं। (घ) हम हर हालत में विजयी होंगे। 4. निमिष' का अर्थ है- (क) पल-भर (ख) एक जंगल (ग) रात्रि (घ) कालिमा 5. 'कंटक' किसके प्रतीक हैं- (क) बाधाओं के (ख) संकटों के (ग) प्रलोभनों के (घ) कष्टों के

Answered by petkarmadhavi4
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thank you☺.,,zzzzznajajwjuw

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