लक्ष्य तक पहुाँचे दबिण, पर्थ में पदर्थक दवश्रणम कै सण।
लक्ष्य है अदत दू र दुगाम मणगा भी हम िणिते हैं,
दकन्तु पर्थ के कं टकों को हम सुमि ही मणिते हैं,
िब प्रगदत कण िणम िीवि, यह अकणल दवरणम कै सण ।। लक्ष्य तक ...।
धिुष से िो छू टतण है बणर् कब मग में ठहरतणदेखते ही देखते वह लक्ष्य को ही बेध करतण
लक्ष्य प्रेररत बणर् हैं हम, ठहरिे कण कणम कै सण।। लक्ष्य तक...।
बस वही है पदर्थक िो पर्थ पर दिरन्तर अग्रसर हो,
हो सदण गदतशील दिसकण लक्ष्य प्रदतक्षर् दिकटतर हो।
हणर बैठे िो डगर में पदर्थक उसकण िणम कै सण ।। लक्ष्य तक...।
बणल रदव की स्वर्ा दकरर्ें दिदमष में भू पर पहुाँचतीं,
कणदलमण कण िणश करतीं, ज्योदत िगमग िगत धरती
ज्योदत के हम पुंि दिर हमको अमण से भीदत कै सण ।। लक्ष्य तक...।
निम्ननिखित में से निर्देशािुसार सबसे उनचत नर्कल् ों का चयि कीनिए:-
(1) इस पद्ाोंश का उपयुक्त शीर्वक र्दीनिए-
I. लक्ष्य-सणधिण
II. चलते चलो
III. पदर्थक दवश्रणम कै सण
IV. मत ठहर तू
1
(2) आशय स्पष्ट कीनिए-
दकं तु पर्थ के कं टकों को हम सुमि ही मणिते हैं।
I. हम मणगा की बणधणओं से प्रसन्न होते हैं।
II. बणधणओं से िूझिण ही हमणरण लक्ष्य है।
III. मणगा की बणधणओं को हम स्वीकणर करके चलते हैं।
IV. हम बणधणओं की परवणह िहीं करते।
1
(3) ‘लक्ष्य प्रेररत बाण हैं हम‘-आशय स्पष्ट कीजिए।
I. हम लक्ष्य को नष्ट करके रहेंगे।
II. हम लक्ष्य की बाधाओं को नष्ट करके रहेंगे।
III. हम लक्ष्य की ओर चले हुए पधर्क हैं।
IV. हम हर हालत में विजयी होंगे।
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Dabin reached in the goal, the incipient davasranam canon in Perth.
The goal is that we also have a different manga,
We sum up the books of Deccan Perth,
When the progressed particle name is life, it is called Akanal Direnam. Le
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