लखित पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या करें-
सीस पगा न सँगा तन में, प्रभु! जाने को आहि बसे केहि ग्रामा।
धोती फटी-सी लुटी दुपटी, अरु पाँय उपानह को नहिं सामा।।
द्वार खड़ों द्विज दुर्बल एक, रह्रो चकिसों बसुधा अभिरामा।
पूछत दीनदयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा।।
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