लखनऊ, और पूना कैसे शहर थे ?
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- accha hi hai i no but mera hisab se accha hi hai
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लखनऊ को नबाबों की नगरी के नाम से जाना जाता है, जो उत्तर प्रदेश की राजधानी है और गोमती नदी के तट पर स्थित है। इस शहर का इतिहास सूर्यवंशी राजवंश के काल का है। लखनऊ की स्थापना नवाब आसफ - उद - दौला द्वारा की गई थी, उन्होने इसे अवध के नवाबों की राजधानी के रूप में पेश किया था। वास्तव में, नवाबों ने इस शहर को एक विनम्र संस्कृति के अलावा शानदार पाक शैली भी प्रदान की है जो वर्तमान समय में पूरी दुनिया में विख्यात है।
इस शहर में अभूतपूर्व विकास और आधुनिकीकरण के बाद भी, यहां का प्राचीन आकर्षण और महिमा बरकरार है। अगर आप सड़क पर भी चलते हुए किसी से बात करेंगे तो लखनवी तहज़ीब की झलक साफ नजर आएगी। बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए यहां की हवेलियों ( मकानों ) को अपार्टमेंट में बदल दिया गया है लेकिन लोगों में मोहब्बत और अपनापन अभी भी बाकी है।
नवाबों के युग में इस शहर में उम्दा तहज़ीब व तमीज़ के साथ - साथ मुंह में पानी ला देने वाले पकवानों व व्यंजनों को भी बढ़ावा दिया गया। उस अवधि में साहित्य, संगीत, नृत्य और कला व शिल्प भी चरम पर था। वास्तव में, लखनऊ वह शहर है जहां कई वाद्य यंत्र जैसे - सितार, टेबल और नृत्य जैसे - कत्थक आदि का जन्म हुआ है। समय के साथ, लखनऊ पर मुगल शासकों के बाद अंग्रेजों का बोलबाला हो गया, और आप यहां आकर यहां की इमारतों और स्मारकों में शाही शासन की झलक भी आसानी से देख सकते हैं।
लखनऊ उर्दू, हिंदुस्तानी और हिन्दी भाषा का जन्म स्थान है और इस शहर का भारतीय कविता और साहित्य में काफी योगदान भी रहा है। पूरे देश में इस शहर में सबसे उम्दा कारीगर मिलते हैं और यहां की चिकनकारी का काम पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है, हर पुरूष और महिला के वार्डरोब में लखनऊ का चिकेन का कपड़ा जरूर मिलता है।
लखनऊ का कोई भी विवरण यहां के शानदार व्यंजनों के गुणों का बखान किए बिना पूरे हो ही नहीं सकते। हालांकि, यहां आकर आपको प्रसिद्ध मुगल व्यंजनों का स्वाद जरूर चखना चाहिए, जिनमें टिक्का और कबाब सबसे प्रमुख और खास हैं।