Hindi, asked by Pranavthakur01, 17 days ago

“लखनवी अंदाज”पाठ के आधार पर बताइए की सामंती वर्ग के लोग किस प्रकार का जीवन जीते

हैं ?​

Answers

Answered by s15316aghanshyam0219
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Answer:

जीवन शैली बनावटी, वास्तविकता से बेखबर, सामाजिकता से दूर, दूसरों की संगति के लिए उत्साह नहीं, ट्रेन में उनकी भाव-भंगिमा बनावटी, खानदानी रईस बनने का अभिनय, खीरा खाने में भी नज़ाकत, खाने की कल्पना मात्र से पेट भरने वाले ये सब बातें नवाब साहब के पतनशील सामन्ती वर्ग का जीता-जागता उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।

Answered by hemantsuts012
2

Answer:

Concept:

पाठ का नाम- लखनवी अंदाज़

लेखक - यशपाल साहब

यशपाल साहब का जन्म सन 1903 में पंजाब के फिरोजपुर छावनी में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा कांगड़ा में हुई। उन्होंने लाहौर के नेशनल कॉलेज से BA किया था।

Find:

“लखनवी अंदाज”पाठ के आधार पर बताइए की सामंती वर्ग के लोग किस प्रकार का जीवन जीते हैं ?

Given:

“लखनवी अंदाज”पाठ के आधार पर बताइए की सामंती वर्ग के लोग किस प्रकार का जीवन जीते हैं ?

Explanation:

“लखनवी अंदाज”पाठ के आधार पर नवाब साहब की जो भी जीवन शैली थी जो भी उनमें दिखावा करने की प्रवृत्ति थी, वह सामंतवाद का ही प्रतीक थी। उनकी नफासत, नजाकत और दिखावा पसंद आदतें उसी सामंती वर्ग का सूचक थीं, जो अपनी झूठी व दिखावटी शैली के लिए जाना जाता था।

इस पाठ में नवाब साहब खीरा खाने के लिए बड़े ही यत्नपूर्वक तैयारी करते हैं। खीरा काट कर उस पर नमक छिड़क कर सब कुछ तैयार कर लेते हैं, लेकिन फिर बिना खाए ही सूंघकर खिड़की से बाहर फेंक देते हैं, ऐसा करने में बेहद गर्व महसूस करते हैं। उन्हें खाने की वस्तुओं का कोई कोई मोल नहीं, वह केवल प्रदर्शन करना जानते हैं।

नवाब साहब की नजर में लेखक के सामने खीरा उनकी नवाबी शान-शौकत के विरुद्ध था। इस कारण वह लेखक के सामने खीरा ना खाकर केवल दिखावटी प्रदर्शन करते हैं। यदि लेखक ट्रेन में ना चढ़ा होता और वह अकेले होते तो खीरा जरूर खाते लेकिन लेखक के आने पर उन्होंने उस खीरा को खाना अपनी नवाबी शान खिलाफ समझा इसलिये उन्होंने खीरा काट कर केवल अपनी नफासत और नजाकत का प्रदर्शन ही किया। इस तरह वह सामंतवादी प्रवृत्ति के प्रतिनिधि बनकर भरते हैं, जो कोई सामान्य मानवीय कार्य सार्वजनिक रूप करने में अपनी शान में गुस्ताखी समझता है।

#SPJ3

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