लखनवी अंदाज पाठ के शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए बताइए कि लेखक ने पाठ का शीर्षक में क्यों रखा होगा ?
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अपनी झूठी शान को कायम रखने के लिए वह खीरों को बिना खाए फेंक देते हैं। नवाब स्वयं जानते थे कि न उनकी हैसियत और स्थिति ऐसी है कि वह खीरों को फेंके परन्तु लेखक के सम्मुख अपनी शान को नष्ट होते हुए नहीं देख सकते थे। अतः बिना खाए खीरों को फेंक दिया। इसलिए लेखक ने इस पाठ को उन्हीं को समर्पित करके इसका नाम लखनवी अंदाज़ रखा।
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अपनी झूठी शान को कायम रखने के लिए वह खीरों को बिना खाए फेंक देते हैं। नवाब स्वयं जानते थे कि न उनकी हैसियत और स्थिति ऐसी है कि वह खीरों को फेंके परन्तु लेखक के सम्मुख अपनी शान को नष्ट होते हुए नहीं देख सकते थे। अतः बिना खाए खीरों को फेंक दिया। इसलिए लेखक ने इस पाठ को उन्हीं को समर्पित करके इसका नाम लखनवी अंदाज़ रखा। this question answer is here
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