Hindi, asked by dheerajnamdev318, 2 months ago

- ललछद ने सच्चा ज्ञान किसे माना है?
आत्मज्ञान​

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Answered by lovelygirl46418
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ललद्यद ने आत्मज्ञान को ही सच्चा ज्ञान माना है l

Answered by shishir303
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कवयित्री ललद्यद ने सच्चा ज्ञान आत्मज्ञान को माना है।

व्याख्या :

ललद्यद यह कहना चाहती हैं कि आत्मज्ञान अर्थात स्वयं को जानना ही सच्चा ज्ञान है। व्यर्थ प्रपंच, आडंबर तथा पाखंड से स्वयं को बचाकर ही सच्चे ज्ञान को पाने के पथ पर चलना है।

कवियित्री ललद्यद ने अपने ‘वाख’ वाक्यों के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सच्चा मार्ग चुनने की प्रेरणा दी है कवियित्री यह कहना चाहती है कि ईश्वर को प्राप्त करने के लिए धार्मिक स्थानों अर्थात मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा आदि में जाने की जरूरत नहीं। ईश्वर को प्राप्त करने के लिए सबसे पहले हमें अपने मन को निर्मल करना पड़ेगा तथा हृदय को स्वच्छ करना पड़ेगा और फिर सच्चे मन से अपने अंदर झांकना पड़ेगा तभी हम स्वयं को जान सकते हैं और ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं।

कवि ललद्यद कहती हैं कि ईश्वर एक है। विभिन्न धर्मों के लोग जिसको भी मानते हैं, वह ईश्वर एक है। इसलिए संसार रूपी माया जाल से मुक्ति के लिए हमें सत्कर्म करने पड़ेंगे। क्योंकि सत्कर्म करने से ही हमारे अंदर का अहंकार और बुराई नष्ट होगी। तभी हम ईश्वर की सच्ची आराधना कर सकते हैं और ईश्वर को पा सकते हैं।

इस तरह कवियित्री ललद्यद ने वाख के द्वारा ईश्वर की सच्ची आराधना करके सच्चे ज्ञान द्वारा ईश्वर को पाने पर जोर दिया है।

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