ललघद ने ईश्वर का वास कहाँ बताया है
'वाख केआधार पर स्पष्ट कीजिए।
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bhagvan Ka vasa sabme he Pani jal vayu agani aalashi patal me manusya k andar bhi devtaka ka vas hota he
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ललघद ने ईश्वर का वास मनुष्य के हृदय में बताया है, क्योंकी ईश्वर सब जगह है।
Explanation:
ईश्वर सब जगह व्याप्त है उसका एक मात्र कोई स्थान नहीं है।
कवियत्री के अनुसार ईश्वर को लोग मंदिर, मस्जिद में ढूंढते है पर खुद के अंदर नहीं ढूंढते, ईश्वर तो सर्वोपरि, सर्वव्यापक अर्थात् हर मनुष्य के भीतर उसके हृदय में है।
इस कविता में कवियत्री कहती है की वह प्रभु प्राप्ति के लिए सीधे साधे रास्ते आई थी पर इस मोह माया में फस कर सब भूल गई। और जब जीवन के आखिरी पल देखा तो जेब खाली मिली.
अतः स्पष्ट है की प्रभु को यहां वहां मत खोजो खुद के भीतर ही वो है उन्हे अपने अंदर ही खोजो।
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