"ललन चलन सुनि पालन में आए गयो बहु नीर। अखंडित बेरी रही पीरी परी शरीर।" निम्नलिखित काव्यांश में निहित रस बताइये
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ललन चलन सुनि पालन में आए गयो बहु नीर।
अखंडित बेरी रही पीरी परी शरीर।
उपरोक्त पंक्तियों में अद्भुत रस है। अद्भुत रस का स्थाई भाव आश्चर्य होता है। अद्भुत रस की परिभाषा के अनुसार जब व्यक्ति के मन में किसी विचित्र घटना या व्यक्ति आदि को देखने पर विस्मय या आश्चर्य का भाव प्रकट हो तो वहाँ अद्भुत रस की प्रतीति होती है उपरोक्त पंक्तियों में आश्चर्य का भाव प्रकट हो रहा है, इसलिए यहां पर अद्भुत रस की प्रतीति हो रही है।
अद्भुत रस का स्थायी भाव आश्चर्य होता है. किसी व्यक्ति या घटना को देखकर व्यक्ति के मन में आश्चर्य या विस्मय का भाव उत्पन्न होता है।
इन पंक्तियों में अद्भुत रस है | ( इसका स्थायी भाव आश्चर्य होता है )
अदभुत रस,
भारतीय काव्य शास्त्र के विभिन्न रसों में से एक है, इसका स्थायी भाव आश्चर्य होता है। जब व्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होता है उसे ही अदभुत रस कहा जाता है। इसके अन्दर औंसू आना, रोमांच, गद्गद होना, काँपना, आँखे फाड़कर देखना आद शामिल हैं। अद्भुत रस के भरतमुनि ने दो भेद इए हैं: दिव्य तथा आनन्दज। वैष्णव आचार्य इसके दृष्ट, श्रुत, संकीर्तित तथा अनुमित नामक भेद करते हैं।
रस की परिभाषा
काव्य को पढ़कर मिलने वाली अंदरूनी खुशी को रस कहा जाता है। इसे इस प्रकार समझा जा सकता है कि यदि कोई कविता पढ़कर आप प्रेरित एवं उत्तेजित हो जाते हैं तब उस कविता में वीर रस का प्रयोग किया गया है।इसी प्रकार अन्य कई प्रकार के रस हैं जिन्हे मिलाकर काव्य का निर्माण किया जाता है। यह सभी रस काव्य को गढ़ने के लिहाज से अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। विश्व में मौजूद हर तरह के काव्य में किसी न किसी प्रकार का रस सम्मिलित है।
किसी भी काव्य को पढ़कर उत्पन्न होने वाले अलग अलग भावों को रस का प्रकार कहा जाता है।