ललद्यद ने ईश्वर का वास कहाँ बनाया है? वाख के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
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मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो ना कोई
जा के सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई
गड़ि दयी कुल की कानि, कहा करि हुँ कोई?
संतन ढिग बैटि-बैठि, लोक-लाज खोयी
अंसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेमि बेलि बोयी।"
(क) काव्यांश की भाषा की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ख) 'प्रेम बोलि बोयी' में कोन-सा अलंकार है नाम लिखिते हुए अलंकार को समझाइये
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