local Asia ki mrutyu ke bad usne लोग लाँरेंस की मौत के बाद उनकी पत्नी से कया चाहते थे
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कोरोना वायरस से सबसे अधिक मौतें पश्चिमी देशों में हुई हैं लेकिन उनकी तुलना में घनी आबादी और अपेक्षाकृत खराब मेडिकल सुविधाओं वाले दक्षिण एशियाई देशों में काफी कम मौतें हुई हैं। इसकी वजह क्या है इसको लेकर वैज्ञानिक और हेल्थ विशेषज्ञ भी शोध करने में लगे हुए हैं। द लैंसेट मेडिकल जर्नल में एक शोध पत्र प्रकाशित हुआ है जिसमें कहा गया है कि मई की शुरुआत में कोरोना वायरस से हुई मौतों में 90 फीसदी केस पश्चिमी देशों का था। इसमें कहा गया है कि अगर चीन, ब्राजील और ईरान को जोड़ दें तो यह मामले 96 फीसदी हो जाते हैं।
यूरोप में केस फर्टिलिटी रेशो (कन्फर्म मरीजों में मृत्यु दर) सबसे अधिक रही है। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, फ्रांस में 15.2 प्रतिशत, ब्रिटेन में 14.4, इटली में 14 और स्पेन में 11 प्रतिशत । वहीं, अमेरिका में यह दर 6 प्रतिशत है। इसके उलट दक्षिण एशियाई देशों को देखें तो भारत में यह 3.3 प्रतिशत, पाकिस्तान में 2.2, बांग्लादेश में 1.5 और श्रीलंका में 1 प्रतिशत है।
हावर्ड यूनिवर्सिटी के हेल्थ विशेषज्ञ रिचर्ड कैश और विक्रम पटेल कहते हैं, 'बाकी दुनिया-ऐतिहासिक रूप से महामारी और बीमारी का बड़ा केंद्र माने जाते रहे हैं, जिनसे पश्चिमी देश खुद को बचाने की कोशिश करते थे। इन देशों को अमीर देशों से सरकारी और एनजीओ की बड़ी आर्थिक सहायता और सुझाव मिलते थे।'
डेथ रेट कम रहने की वजह क्या है? वैज्ञानिकों का कहना है कि इसको लेकर कई वजहें गिनाई जा सकती हैं। डेमोग्राफी, वायरस से संपर्क और यहां तक कि सही डेटा का न होना भी शामिल है। पाकिस्तान की बात करें तो यहां पहला मामला 26 फरवरी को सामने आया था उनसे जो ईरान से लौटकर आए थे।। इसके बाद वायरस तेजी से फैला और अब तक 45 हजार लोग इसके चपेट में हैं। अब तक यहां 900 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। और मौत के आंकड़ों के लिहाज से यह दुनिया में 26वें पायदान पर है।