lockdown ka prabhav in hindi essay
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Explanation:
किसी एक भाव या विचार को व्यक्त करने के लिए लिखे गये सम्बद्ध और लघु वाक्य-समूह को अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।
दूसरे शब्दों में - किसी घटना, दृश्य अथवा विषय को संक्षिप्त (कम शब्दों में) किन्तु सारगर्भित (अर्थपूर्ण) ढंग से जिस लेखन-शैली में प्रस्तुत किया जाता है, उसे अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।
'अनुच्छेद' शब्द अंग्रेजी भाषा के 'Paragraph' शब्द का हिंदी पर्याय है। अनुच्छेद 'निबंध' का संक्षिप्त रूप होता है। इसमें किसी विषय के किसी एक पक्ष पर 80 से 100 शब्दों में अपने विचार व्यक्त किए जाते हैं।
अनुच्छेद अपने-आप में स्वतन्त्र और पूर्ण होते हैं। अनुच्छेद का मुख्य विचार या भाव की कुंजी या तो आरम्भ में रहती है या अन्त में। एक अच्छे अनुच्छेद-लेखन में मुख्य विचार अन्त में दिया जाता है।
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Answer: निबंध – 1 (300 शब्द) परिचय लॉकडाउन एक ऐसी आपातकालीन स्थिति को कहते हैं जब आप घर से बाहर नहीं जा सकते। यह भी जरुरी नहीं की आप घर पर ही हों अर्थात जहाँ भी हों, इसके लागू होने के बाद आप कहीं बहार नहीं जा सकते। और यही लॉकडाउन में जब वृहद स्तर पर होता है तो यह कर्फ्यू का रूप ले लेता है। भरता के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मार्च के महीने में 24 तारीख को 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की। मोदी जी द्वारा उठाया गया यह एक ऐतिहासिक कदम था और उन्होंने ऐसा कोरोना नामक महामारी से देश को बचाने के लिये किया। लॉकडाउन का प्रभाव लॉकडाउन के प्रभाव बहुत गहरे होते हैं, क्यों की यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को डगमगा देता है। जब हम काम पर जाते हैं, तभी देश आगे बढ़ता है और जब देश के सारे फैक्ट्री बंद हो जायेंगे, सब घर पर बैठ जायेंगे तो देश का विकास भी रुक जाता है और इससे अर्थव्यवस्था को भारी क्षति पहुँचती है। लॉकडाउन से देश के जी.डी.पी., विकास दर, सब में कमी आ जाती है और यह किसी के लिये ठीक नहीं। हम दूसरे देशों की अपेक्षा कई वर्ष पीछे जा सकते हैं। परंतु जीवन से बढ़ कर शयद कुछ भी नहीं और ये हमारे नेता भी समझते हैं और हमारे हित में ही इस कदम को उठाया। छोटे मजदूर, महिलाएं, दिहाड़ी पर काम करने वाले लोग, इस लॉकडाउन से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। उनकी स्थिति कुछ ऐसी है की वे घर में रहे तो बिना खाए मर जाते और बहार रहें तो इस महामारी से। निष्कर्ष देश एक बड़ी ही दयनीय स्थिति से गुजर रहा है और आने वाले कई महीनों तक इसके प्रभाव देखने को मिल सकता है। इसलिए सतर्क रहें और कोरोना से लड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाते रहें और लॉकडाउन से देश को उबरने में अपना पूरा सहयोग दें। निबंध – 2 (400 शब्द) परिचय लॉकडाउन अर्थात बंद, चाहे वह भारत हो या चीन, ऐसी स्थिति में जब पूरा देश बंद हो उसे लॉकडाउन कहते हैं। भारत में ऐसी स्थिति पहली बार देखी गयी है, जब पूरा देश बंद हो। लोग हैं पर सडकों पर सन्नाटा पसरा है, नुक्कड़ पर अब भीड़ नहीं लगती और चाय की दुकानों पर अब लोग गप नहीं मारते। अगर कुछ है तो सन्नाटा और सन्नाटे को चीरती हुई पुलिस की गाड़ियों के सायरन। कुछ ऐसा आलम है इस लॉकडाउन का। यह एक प्रकार की आपातकालीन स्थिति है जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल सकता है। क्यों किया गया लॉकडाउन? भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन अपनाया गया। यह इसलिए ताकि देश की जनता को कोरोना नामक भयंकर माहामारी से बचाया जा सके। आलम ऐसा है की दुनिया का हर देश कोरोना से बेहाल है। चारों तरफ लोग मर रहे हैं और इसका संक्रमण भी बहुत तेजी से फैलता जा रहा है। इटली और स्पेन जैसे देश जिनकी मेडिकल स्थिति दुनिया में बेहतरीन मानी जाती है, जब ऐसे देशों ने अपने हाथ खड़े कर दिए तो भारत तो अभी बहुत पीछे है। वहां जैसी स्थिति भारत में न आये इस लिये भारत सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की। यह 25 मार्च से चल कर 14 अप्रैल तक चलेगा। इसके प्रभाव में आने से पूर्व सरकार ने एक दिन का ‘जनता कर्फ्यू’ लगाया था। उसके बाद इस लॉकडाउन को प्रभाव में लाये। लॉकडाउन की स्थिति में सभी प्रकार के परिवहन (वायु, जल और स्थल) बंद कर दिये गए, सभी दुकाने, फैक्ट्रियां, कंपनियां, आदि सब बंद हैं। लोगों को घर में रहने की हिदायत दी जा रही, चारों तरफ सन्नाटा और अजीब सा खौफ हैं क्योंकि कोरोना का इलाज अभी तक मुमकिन नहीं। इसकी वैक्सीन की खोज अब तक जारी है, अगर हमारे हाथ में कुछ है तो वो बस घर में रहना और लोगों से दूरी बनाये रखना। लॉकडाउन के सकारात्मक प्रभाव एक तरफ कोरोना पर काबू पाने में मददगार साबित हुआ क्यों की जब लोग ही नहीं होंगे तो ये फैलेगा कैसे। पर्यावरण को भी खुद को साफ़ करने का थोड़ा समय मिल गया। कई परिवारों में समय के कमी के कारण आई दूरियां ख़तम हो गई। जो लोग ऐसे नहीं सुधरते वे कम से कम परिवार के लिये बाहर नहीं जाते। निष्कर्ष लॉकडाउन के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव हैं, परंतु उद्देशय कोरोना से लड़ना और उसे हराना ही है। जब सरकार अपने अर्थव्यवस्था की चिंता न करते हुए हमारे हित के बारे में सोचते हुए इतना बड़ा कदम उठा रही है तो, यह हमारा भी कर्तव्य है की हम इसका पालन करें। घर पर रहें, लोगों से दूरी बनायें रखें, खुद भी स्वास्थ्य रहें और दूसरों को प्रेरित करें। ऐसे संकट की घड़ी में सबको डट कर इसका सामना करना है।
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