lockdown par paryavaran ke liye vardan nibandh
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भारत में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन जारी है. सड़कें सूनी पड़ी हैं. कामकाज ठप पड़ा है. और लोग घरों में लॉकडाउन खुलने का इंतज़ार कर रहे हैं.
लेकिन इस सबके बीच एक अच्छी ख़बर ये आई है कि लॉकडाउन की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली समेत तमाम दूसरे शहरों में वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण में भारी कमी आई है.
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सोशल मीडिया पर जालंधर से बर्फीली चोटियां और कांगड़ा से हिमालय दिखाने का दावा करने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं.
आंकड़े क्या कहते हैं?
आँकड़ों की बात करें तो दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन पर साल 2018 और 2019 के दौरान 5 अप्रैल को पीएम 2.5 का स्तर तीन सौ से ऊपर था.
लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से ये स्तर गिरकर 101 पर आ गया है.
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भारत में वायु प्रदूषण की वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत होती है.
Image copyrightREUTERSदिल्ली, प्रदूषण, कोरोना वायरस
Image captionदिल्ली में लॉकडाउन के दौरान और बीते साल अक्तूबर के बीच पीएम 2.5 प्रदूषकों का भारी अंतर देखा गया है.
बच्चों को छोटी उम्र में ही कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
ऐसे में इन सारी तस्वीरों और आँकड़ों को देखकर लोगों का ख़ुश होना भी लाज़मी है.
लेकिन क्या कोरोना वायरस ने प्रदूषण की मार झेलती दुनिया को वो मौक़ा दिया है, जिसमें वह ठहरकर जीवनशैली में बदलाव करने पर विचार कर सकें?
बीबीसी ने इन्हीं सवालों के साथ विशेषज्ञों से बात की है.
लॉकडाउन के दौरान कितना कम हुआ प्रदूषण?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 मार्च को पूरे देश में लॉकडाउन करने का ऐलान किया था. लेकिन कुछ दिनों पहले से ही स्कूल और दफ़्तरों को बंद किए जाने का सिलसिला शुरू हो चुका था.
दिल्ली के आनंद विहार में 19 फरवरी को पीएम 2.5 का अधिकतम स्तर 404 आंका गया था जो बेहद ख़तरनाक माना जाता है. इस स्तर पर स्वस्थ लोगों को काफ़ी नुकसान होता है और बीमार लोगों की सेहत पर गंभीर असर पड़ते हैं.
Explanation:
कोविड-19 के देश में प्रवेश करने से लोगों में काफी हलचल सी मच गई। लोगों को बचाने के लिए सरकार को लॉकडाउन का सहारा लेना पड़ा। जिसका सकारात्मक प्रभाव से इंसानों पर ही नहीं बल्कि पेड़-पौधे जीव जंतु पर्यावरण पर विशेष रुप से देखा जा रहा है। पिछले 21 मार्च से लॉकडाउन लगभग 50 दिन पूर्ण होने वाले हैं। इन दिनों में पर्यावरण में 55 प्रतिशत शुद्धता आई है। पिछले 40 वर्षों में ऐसी कभी नहीं देखी गई थी। मई माह में लोग गर्मी की मौसम में 40 से 42 डिग्री सेल्सियस उच्चतम तापमान रहता था। लोग हवा के झोंका झेला करते थे। आज वहीं मई माह की मौसम लोगों के लिए खुशनुमा हो गया है। मई में लगभग नदियां कुएं तालाब सुख जाया करते थे परंतु आज प्रकृति लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। नदियों में निर्मल जल का प्रवाह हो रहा है वहीं कुआं और तालाब में भरपूर पानी होने के कारण फिलहाल पेयजल की समस्याओं से लोगों को जूझना नहीं पड़ रहा है, जो लोगों के लिए काफी राहत है। अगर पेड़ पौधे जीव जंतु पशु पक्षी की ध्यान दिया जाए तो इनके पुराने दिन भी लौट आए हैं। तोता, मैना, कोयल, गिलहरी, कौआ, गरैवा और कई प्रकार के तितलियां अब गांवों में भी विचरण करते देखे जा रहे हैं। पेड़ पौधे के पत्तों में गजब की चमचमाती हरी- हरी हरियाली देखने को मिल रही है। पर्यावरण को विशुद्ध करने में सहायक साबित हो रही है। लॉकडाउन के पूर्व भारी प्रदूषण के कारण जीव-जंतु, पशु-पक्षी शहरों में काफी कम देखा जाता था। परंतु आज वह शहरों की ओर भी आ रहे हैं। 50 दिनों में शहरों एवं गांव में बीमार पड़ने वाले मरीजों की संख्या में भी काफी गिरावट देखी जा रही है। जो आगामी दिनों के लिए काफी शुभ संकेत हैं। लॉकडाउन लगाए जाने के कारण प्रदूषण में आई अचानक गिरावट से लोगों में काफी खुशी देखी जा रही है। अब लोगों का मानना है की साल में एक बार कम से कम 20 दिनों के लिए लॉकडाउन नितांत आवश्यक है। प्रदूषण से होने वाली बीमारियां कम होगी जिसका सीधा लाभ हमारे देश पर भी पड़ेगा और सरकार को हजारों करोड़ रुपए की बचत भी होगी।