Lohe aur plastic ki kahani in hindi
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लोहे और प्लास्टिक की कहानी
बहुत समय पहले की बात है। इंसान नगरों में बस कर रहने लगे थे। तभी एक दिन एक आदमी को लोहा मिलता है। लोहे ने उस आदमी से कहा कि मैं तुम्हारे बहुत काम आने वाला हूं। मैं बहुत मजबूत हूं मेरे शरीर के आप बहुत से उपकरण बना सकते हैं जो आपके लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध होंगे।उस आदमी ने लोहे का परिचय अपनी सभी साथियों से करवाया और सभी ने लोहे का उपयोग किया। लोहे के कारण उनका जीवन यापन बहुत ही आसान हो गया था।
कुछ वर्षों के पश्चात वैसे ही एक आदमी को प्लास्टिक मिला। प्लास्टिक ने कहा कि मैं आपकी बहुत काम आ सकता हूं। लोहे को प्राप्त करने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी लेकिन मेरे शरीर के बने उपकरण आपके लिए बहुत ही लाभकारी होंगे तथा आसानी से मिल सकेंगे और उस पर खर्च भी नहीं आएगा।
इंसान ने प्लास्टिक को अपने दैनिक कार्य के प्रयोग में लगा दिया। जहां देखो यहां वहां प्लास्टिक ही प्लास्टिक दिखने लगा। प्लास्टिक ने लोहे से कहा देखा मेरा कमाल सभी लोग मुझे अपना रहे हैं तुम तो अकड़ के रहते थे इसलिए ऐसा हुआ। लोहे ने कुछ नहीं कहा मैं चुप रहा।
पूरी धरती पर प्लास्टिक चारों और फैल गया अपने अनेक अनेक रूपों में। सागर प्लास्टिक के कारण प्रदूषित हो गई धरती अब उपजाऊ नहीं रही।
मनुष्यों ने विचार किया कि प्लास्टिक हमारे वातावरण के लिए हानिकारक है। तथा उन्होंने प्लास्टिक को बंद करने का निश्चय लिया। इससे प्लास्टिक भयभीत हो गया। तभी लोहे ने प्लास्टिक को कहा कि अपना सारा सामान समेटा और यहां से चलते बनो।