Political Science, asked by rohit4041, 6 months ago

loktantra aur vividhata ek dusre ke purak hai kaise​

Answers

Answered by manojchauhan21
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Answer:

लोकतंत्र, स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता के लिए एक स्पष्टीकरण

इस निराशाजनक समय की आवश्यकता की मांग है कि सभी लोग संविधान के मूल सिद्धांतों पर लौटें और इसकी शुरुआत अपने चुनावी अधिकार का सही ढंग से इस्तेमाल करें।

Explanation:

भारत में भारी असंतोष का समय है क्योंकि अल्पसंख्यक विशेष रूप से मुस्लिम खुद को दक्षिणपंथी फासीवादियों के हमले का शिकार पाते हैं। यह ज्ञात है कि जब भी फासीवादी ताक़तें किसी भी समाज में उभरती हैं तो असंतोष, बहुलवाद तथा सहिष्णुता इसके पहले शिकार होते हैं। वर्तमान समय में भारत में इसे देखा जा सकता है। कश्मीर में यह हमारे लिए ज़्यादा मायने रखता है क्योंकि हम उनमें से हैं जो विरोध के रास्ते पर हैं चूंकि हम अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए संघर्ष करते हैं। निरंतर ख़ौफ़ के साए में ज़िंदगी गुज़ारते हुए कोई भी परेशान हो जाएगा कि ऐसी परिस्थितियों में स्वतंत्रता और लोकतंत्र का आख़िर क्या मतलब है?

निस्संदेह कश्मीर में लोगों ने इस तरह के विचारों पर से विश्वास खो दिया है लेकिन अगर हम कोई भी समाधान के बारे में बात कर रहे हैं तो इसका रास्ता लोगों की इच्छा के अनुसार लोकतांत्रिक तरीक़े में ही निहित है। और फासीवाद इसका कट्टर विरोधी है। भारत में फ़ासीवादी ताक़तों की चुनावी सफलता फिर से अनिवार्य रूप से हमारे अधिकारों के और दमन का कारण बनेगी और इस तरह लोकतांत्रिक समाधान की किसी भी संभावना को निष्प्रभावी कर सकती है। न्यायसंगत कश्मीरी आकांक्षाओं की पूर्ति पर आम सहमति के लिए भारत में फासीवादी चेतना को हराना होगा। भारत के लोगों को इस महत्वपूर्ण समय के बारे में याद दिलाने की ज़रूरत है। एक कश्मीरी के रूप में जो लोकतंत्र,स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता के लिए प्रयास करते हैं वे नई सरकार चुनने की इस चुनावी प्रक्रिया के केंद्र में मौजूद भारतीय जनता से अपील करके इस महत्वपूर्ण समय में उन्हें अपने संवैधानिक दायित्वों के बारे में केवल याद दिला सकते हैं।

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