Political Science, asked by harishsinhmar4171, 8 months ago

Loktantra ke vishestao ko likhe

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Answered by Harrypotter723
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लोकतंत्र की विशेषताएं

प्रजातंत्र में राजतंत्र जैसे अनेक दोष होने के बावजूद उसमें अनेक विशेषताएं भी हैं जिससे यह राजतन्त्र की अपेक्षा बहुत अच्छी व्यवस्था है। इसमें ये विशेषताएं होती हैं :

१. जनता के व्यक्तित्व का निर्माण करने वाली शासन प्रणाली :

फील्ड के अनुसार लोकतंत्र का अंतिम औचित्य इस बात में है कि यह नागरिकों के मन में कुछ विशेष प्रवृत्तियां उत्पन्न करता है। इसमें मन स्वतंत्रता पूर्वक विचार करता है ,व्यक्ति सार्वजानिक कार्यों के बारे में सोचता है , उनमें रूचि लेता है,परस्पर चर्चा करता है, उसमें दूसारों के प्रति सहिष्णुता उत्पन्न होती है तथा समाज के प्रति उत्तरदायित्व उत्पन्न होता है।कार्य करने के स्वतंत्रता के कारण यह व्यक्ति के चरित्र के अनेक गुणों का विकास करता है।

२. नैतिक विकास में सहायक : अमेरिका के राष्ट्रपति लावेल ने कहा है शासन की उत्कृष्टता की कसौटी शासन व्यवस्था, आर्थिक समृद्धि या न्याय नहीं है ( सामान्य व्यक्ति इन्हें ही आधार मानता है )अपितु वः चरित्र है जजिसे यह अपने नागरिकों में उत्पन्न करता है। अंततोगत्वा व्ही शासन उत्कृष्ट है जो अपनी जनता में नैतिकता की सुदृढ़ भावना, ईमानदारी, उद्योग,आत्मनिर्भरताऔर साहस के गुण पैदा करता है। वोट देने का अधिकार नागरिकों में विशेष गरिमा उत्पन्न करता है इससे उसमें गौरव और स्वाभिमान जागृत होता है। ( वोट के लिए बड़े से बड़े नेता को भी नागरिकों के सामने जाकर हाथ फ़ैलाने पड़ते हैंजो राजतंत्र में सम्भव नहीं है। )

३. लोक शिक्षण का सर्वोत्तम साधन :चुनाव के समय मीडिया द्वारा समस्याओं के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला जाता है जिससे शासन की अनेक बातों का ज्ञान हो जाता है। कुछ चैने जन प्रतिनिधियों द्वारा विगत ५ वर्ष के कार्यकाल में किये गए कामों की जानकारी देते हैं तथा उनसे प्रश्न भी करते हैं , लोगों के विचार और शिकायतें भी उन्हें सुनवाते हैं। इससे जन सामान्य को भी बहुत जानकारी मिलती है तथा उसे यह ज्ञान हो जाता है कि जन प्रतिनिधियों को क्या-क्या काम करने थे , क्या किय़े और क्या नहीं किये। इस प्रकार लोगों को कम समय एवं संक्षेप में शासन व्यवस्था की बातें समझ में आ जाती हैं।

४. लोगों में देशभक्ति उत्पन्न करती है : राजतंत्र में लोगों को यह ज्ञात नहीं हो पता है कि राजा का धन कहाँ से आया और कहाँ व्यय हुआ। वे राजा से कुछ पूछ ही नहीं सकते परन्तु लोकतंत्र में उन्हें अनेक जानकारियां मिलती रहती हैं उसे अपने अधिकार भी समझ में आते हैं वः भी सोचता है कि उसका देश-प्रदेश उन्नति करे। इस प्रकार लोगों में स्वतः देश प्रेम उत्पन्न होने लगता है।

५. सत्ता का दुरूपयोग रोकना : मंत्रियों पर संसद का दबाव रहता तथा विपक्षी दल भी सरकार की गलत नीतियों का विरोध करते रहते हैं। मंत्रियों और जन प्रतिनिधियों को चुनाव के समय पुनः जनता से वोट मांगने जाना होता है इससे सरकार के कार्यों पर अंकुश रहता है। जो मंत्री मनमानी करते हैं जनता उन्हें अगले चुनाव में हरा देती है।

६. जनता की इच्छा एवं विशेषज्ञता का सुन्दर समन्वय :हाकिंस ने कहा है कि प्रत्येक शासन में वास्तविक शासक विशेषज्ञ ही होते हैं। बजट में धन कहाँ से आयगा और जाता की आवश्यकताओं के अनुरूप उसे किस प्रकार व्यय किया जाय यह सामान्य व्यक्ति नहीं बता सकता है , कवही बता सकता है जो अर्थ शास्त्र जान्ने के साथ बजट बानना भी जनता हो। सड़कें बननी हैं तो कितना व्यय होगा और पहले कहाँ पर सड़क बनाना उपयुक्त होगा यह कोई विशेषज्ञ ही बता सकता है परन्तु वे जनता की भावनाओं और कष्टों को नहीं समझते हैं। दूसरी और जन प्रतिनिधि जनता की इच्छाओं और आवश्यकताओं को बताते हैं। सामान्य रूप से उसी के अनुसार योजनाएं बनती हैं। इस प्रकार लोक इच्छाओं और विशेषज्ञों के ज्ञान के समन्वय से शासन चलता रहता है।

७. लोक हित का शासन : इसमें लोगों की इच्छाओं को ध्यान में रख कर योजनाएं बनाई जाती हैं अतः इससे लोगों का हित स्वाभाविक रूप से होता रहता है।

८. राज्य की शक्ति एवं व्यक्ति की स्वतंत्रता का अद्भुत समन्वय : राज्य सत्ता एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता राजशाही में एक दूसरे के विपरीत रहे हैं। राजा सामंत केवल आदेश देना जानते थे किसी की बात सुनना नहीं। सामान्य व्यक्ति उन्हें कोई सुझाव देने का विचार भी नहीं कर सकता था। आज लोग स्वतन्त्र रूप से जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते रहते हैं , नई-नई खोजें होती रहती हैं , नए-नए कार्य होते रहते हैं जो राजशाही में सोचे भी नहीं जा सकते थे। शासन उन नए अविष्कारों का उपयोग अपनी कार्य क्षमता बढ़ाने में करते रहते हैं और विकास नए आयाम स्थापित करता जाता है। पहले जहां लोग राजाओं के पास तक नहीं जा पते थे , आज मीडिया वाले मंत्रियों से न केवल कुरेद-कुरेद कर प्रश्न पूछते है अपितु टीवी के चैनलों पर तो ऐंकर उन्हें डांटते और उनका उपहास भी करते हैं और मंत्री जी स्वयं को धन्य मानते हैं कि उन्हें टीवी पर बुलाया गया है।

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