Lombardi aur saras ki ghanishta mitrata
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Explanation:
एक जंगल में एक बहुत चतुर लोमड़ी रहती थी। वह हमेशा अपनी चतुराई के बल पर हर किसी को मूर्ख बना देती थी। लोमड़ी बेहद ही शातिर तरीके से मूर्ख बनाती थी जिससे सामने वाला कुछ भी नहीं कर पाता था।
लोमड़ी की मित्रता एक सारस से थी। लोमड़ी तो बहुत ही चतुर थी परंतु उसका मित्र सारस अत्यंत ही सीधा था। वह लोमड़ी की तरह चतुराई नहीं जानता था और हमेशा हर किसी के साथ अच्छे से रहता था।एक दिन लोमड़ी के मन में विचार आया कि क्यों ना वह अपने मित्र सारस को भी बेवकूफ बनाए? इसलिए उसने अपने मित्र सारस को खाने का न्योता दिया और कहने लगी,"सारस तुम मेरे सबसे घनिष्ठ मित्र हो। मैं तुम्हें अपने घर पर खाने का न्योता देती हूं।"
चूंकि, सारस बेहद ही सीधा था इसलिए वह लोमड़ी की चतुराई को न भांप सका और न्योते मैं शामिल होने के लिए हामी भर दी।
सारस ने लोमड़ी से कहा, "तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद। तुम्हारे जैसा मित्र मेरा और कोई नहीं हो सकता। बहुत ही कम मित्र होते हैं तुम्हारे जैसे जो मुझ जैसे सीधे व्यक्तित्व वाले जीव के मित्र हैं।"इसके बाद लोमड़ी ने सारस को एक निश्चित दिन बताकर नियुक्ति के लिए अपने घर पर बुलाया। घर पर लोमड़ी ने स्वादिष्ट खीर बनाई।
जब सारस लोमड़ी के घर में पहुंचा तो लोमड़ी ने उसका बहुत अच्छे से स्वागत किया और उसे बैठने के लिए कहने लगी।
सारस वहां कुछ समय प्रतीक्षा करने लगा और थोड़ी देर बाद लोमड़ी ने उसे बुलाया और खाना परोसने लगी। लोमड़ी ने खीर को बहुत ही चौड़े बर्तन में परोसा जिसके कारण लोमड़ी ने तो बहुत आनंद से खाने का स्वाद लिया परंतु सारस अपनी चोंच से लोमड़ी द्वारा परोसे गई चौड़े बर्तन में खीर नहीं खा सकता था। अतः वह कुछ भी ना खा सका और भूखा पेट ही रह गया।
लोमड़ी ने अपना खाना पूर्ण रूप से खाने के पश्चात सारस को चिढ़ाने के लिए कहा, "क्यों भाई सारस तुमने तो कुछ भी नहीं खाया?"