Hindi, asked by dpadmaja60971, 10 months ago


lomdi aur Saras ki mitrata par kahani

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Answered by akanksha1435
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किसी जंगल में एक अत्यधिक चतुर लोमड़ी रहती थी। उसे दूसरों के मूर्ख बनाने में बहुत आनंद मिलता था।

लोमड़ी और सारस - जैसे को तैसा - शिक्षाप्रद कहानी

उस चतुर लोमड़ी की मित्रता एक सारस से थी। मगर बेचारा सारस बहुत सीधा-साधा सच्चा प्राणी था। एक दिन लोमड़ी ने सोचा कि क्यों न सारस के साथ भी थोड़ा हंसी मजाक कर लिया जाए। यही सोचकर वह सारस के पास गई और उसे अपने यहां भोजन का न्योता दिया।

”धन्यवाद! लोमड़ी जी।“ सारस बोला- ”मुझे भोजन पर आमंत्रित करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद! मैं अवश्य आऊंगा।“

निश्चित दिन तथा समय पर सारस लोमड़ी के घर दावत खाने पहुंच गया। जब भोजन का समय आया तो जैसे पहले से ही योजना बनी हुई थी, लोमड़ी ने प्लेटों में सूप परोसा। लोमड़ी के लिए तो प्लेट में सूप पीना कोई समस्या नहीं थी, मगर बेचारा सारस तो केवल अपनी चोंच को आखिरी सिरा ही सूप में भिगो पाया। भला चोंच से सूप कैसे पीता। वह भूखा ही रह गया।

सारस ने खुद को बहुत अपमानित महसूस किया। वह समझ गया कि लोमड़ी ने उसका मजाक उड़ाने के लिए ही इस दावत का प्रबंध किया है।

इधर, लोमड़ी ने दोबारा चुटकी ली- ”क्यों, भोजन पसंद आया या नहीं?“

”धन्यवाद!“ सारस बोला- ”तुम भी किसी रोज मेरे यहां आओ और भोजन का आनन्द लो।“ सारस ने मन ही मन सोच लिया था कि वह लोमड़ी से अपने इस अपमान का बदला अवश्य लेगा।

दूसरे दिन ही लोमड़ी सारस के घर पहुंच गई। वह अपने साथ सारस को भेंट में देने के लिए कुछ भी नहीं लाई थी।

‘मैं खूब जमकर खाऊंगी।’ लोमड़ी ने सोचा।

सरस ने भी भोजन में सूप ही तैयार किया था। उसने सूप को लम्बी गरदन वाली सुराही में परोसा। उसने तो अपनी लम्बी चोंच सुराहीदार बरतनों में डालकर खूब छक कर सूप पिया। परंतु लोमड़ी इन सुराहियों के चारों तरफ चक्कर लगा कर यही देखती रही कि वह सूप पिए तो कैस पिए? लाख कोशिश करने पर भी वह सूप नहीं पी पाई। केवल इन सुराहियों को बाहर से ही चाह सकी। उसे भी सारस की तरह ही भूखा रहना पड़ा। इस प्रकार सारस ने अपने अपमान का बदला ले लिया।

शिक्षा – जैसे को तैसा।


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Answered by Priatouri
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एक जंगल में एक लोमड़ी और एक सारस रहता था I लोमड़ी का तो स्वभाव ही चालाक होता है, वही सारस सीधा था I एक दिन लोमड़ी ने सारस से मित्रता करनी चाहिए और उसे अपना मित्र बनाने के लिए अपने घर भोजन के लिए न्योता दिया I चूँकि सारस अकेला रहता था इसलिए लोमड़ी के आमंत्रण पर सारस लोमड़ी के घर चला गया कि इसी बहाने लोमड़ी की उससे दोस्ती हो जाएगी I जब वह लोमड़ी के घर पहुंचा तो दावत में लोमड़ी ने सूप को एक सूप बनाया और सूप को थाली में सारस के लिए परोस दिया I अब भले सारस सूप को कैसे पीता क्योंकि उसकी तो चोंच लंबी होती है इसलिए सरस बिना सूप पिए ही वापस आ गया और लोमड़ी को भी अपने घर भोजन का निमंत्रण दे आया I

जब वह अपने घर की ओर लौट रहा था तो उसने सोचा कि भला ऐसा कौन मित्र करता है कि दावत पर बुलाया और भोजन ही ना खिलाए I फिर उसने भी एक योजना बनाई किअब मैं भी लोमड़ी को वैसे ही भोजन करऊंगा जैसे उसने मुझेकरवाया हैं I ठीक उसी प्रकार उसने भी सूप बनाया लेकिन उसने सूप को थाली में परोसने की बजाय पतले मुँह की सुराही में रख दिया I लोमड़ी के आने पर उसे भोजन दिया पर लोमड़ी की चोंच ना होने के कारण वह सुराही का सूप ना पी सकी और सारस जिस प्रकार लोमड़ी थाली में सारा सूप चट कर गई थी उसी प्रकार दोनों सुराही का सूप पी गया I

यह सब देखकर लोमड़ी बहुत शर्मिंदा हुई और सारस से माफी मांगते हुए बोली मैं आज के बाद कभी कोई चालाकी  नहीं दिखाऊंगी कृपया मुझे माफ कीजिए और मेरे दोस्त बन जाइए I इस बात पर सारस और लोमड़ी की दोस्ती हो गई I

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