long paragraph of asahyog andolan in Hindi
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असहयोग आंदोलन की शुरुआत गांधी जी ने भारत के पूर्ण स्वराज्य के लिए की थी. सन 1915 में जब गांधी जी साउथ अफ्रीका की यात्रा करके बाढ़ से लौटते हैं उसके बाद उन्होंने कई आंदोलन किए जिनमें से एक खिलाफत आंदोलन भी था जो कि 1920 मैं प्रारंभ हुआ था. खिलाफत आंदोलन में गांधी जी की भूमिका बहुत ही अच्छी थी. और यह आंदोलन बहुत अच्छा भी चला लेकिन इन सबके बावजूद भी अंग्रेज सरकार पर कोई असर नहीं हुआ था.
जब अंग्रेज सरकार ने द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत के मुसलमानों से वादा किया था कि वह तुर्की देश को कुछ नहीं करेंगे. क्योंकि तुर्की देश मुसलमानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. लेकिन 1920 आते आते अंग्रेज अपने वादे से मुकर गए और तुर्की देश का विभाजन कर दिया और एक हिस्सा ब्रिटेन में ले लिया दूसरा हिस्सा फ्रांस में ले लिया.
खिलाफत आंदोलन करने के बावजूद भी अंग्रेजों ने महात्मा गांधी जी की बात नहीं मानी तो गांधी जी ने सुझाव दिया कि अंग्रेज ऐसे हमारी बात मानने वाले नहीं हैं हमें कुछ और करना होगा.
गांधी जी ने सुझाव दिया कि हम अंग्रेजों का किसी भी प्रकार से सहयोग नहीं करेंगे. गांधी जी की यह बात खिलाफत आंदोलन के कार्यकर्ताओं और लोगों को बहुत पसंद आई और उन्होंने कहा है कि हम इस बात पर सहमत हैं और हम इस आंदोलन में भी आपका साथ देंगे. जिसे बाद में असहयोग आंदोलन के नाम से जाना गया.
1 अगस्त 1920 को गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को प्रारंभ कर दिया. लेकिन इस आंदोलन के चालू होने के कुछ समय बाद ही इसके प्रमुख नेता बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु हो जाती है. लेकिन फिर भी असहयोग आंदोलन आंदोलन चालू ही रहता है. महात्मा गांधी जी ने तो कह दिया था कि यह आंदोलन 1 अगस्त से शुरू हो जाएगा लेकिन कांग्रेस इस आंदोलन का प्रस्ताव लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में 4 सितंबर 1920 को पास करती हैं.
इस अधिवेशन में गांधी जी ने भी हिस्सा लिया था और गांधी जी ने कहा था कि अगर हम 1 साल तक Asahyog Andolan सफलतापूर्वक कर लेते हैं तो हमें एक साल में ही स्वराज प्राप्त हो जाएगा. लेकिन वहां बैठे सी आर दास जो कि पेशे से एक बहुत बड़े वकील थे उन्होंने गांधी जी की इस बात को अस्वीकार कर दिया था.
प्रारंभ : 1 अगस्त 1920
कांग्रेस वार्षिक अधिवेशन : 25 दिसंबर 1920
चौरी चौरा कांड : 5 फरवरी 1922 (गोरखपुर)
समाप्त : 5 फ़रवरी 1922
यह प्रस्ताव अभी सिर्फ कांग्रेस के स्पेशल कोलकाता अधिवेशन में ही पास हुआ था लेकिन अभी तक उनके वार्षिक अधिवेशन में पास नहीं हुआ था. तो 25 दिसंबर 1920 को नागपुर में श्री विजय राघव आचार्य की अध्यक्षता में असहयोग आंदोलन को पास कर दिया गया. इससे असहयोग आंदोलन को और भी मजबूती प्रदान हुई.
असहयोग आंदोलन के कारण (Reason of Non-Cooperation Movement)
1) खिलाफत आंदोलन- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद भारतीय मुसलमान अंग्रेजों से काफी नाराज थे क्योंकि उन्होंने तुर्की देश के साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया था जबकि उन्होंने वादा किया था कि वह तुर्की देश को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. क्योंकि भारतीय मुसलमानों मैं तुर्की देश का बहुत ही महत्व था क्योंकि उनके खलीफा वहीं से आते थे. इसलिए उन्होंने खिलाफत आंदोलन की शुरुआत की और बाद में असहयोग आंदोलन के साथ भी जुड़ गए.
2) जलियांवाला बाग हत्याकांड- 1919 मैं जलियांवाला बाग हत्याकांड होने के कारण लोग बहुत ही ज्यादा आक्रोशित थे. क्योंकि ब्रिटिश सरकार के एक अफसर ने जलियांवाला बाग में हजारों लोगों को गोलियों से छल्ली कर मार दिया था. करीब 10 मिनट तक मोंत का नंगा नाच होता रहा. इस हत्याकांड में लगभग 1650 राउंड गोलियां चलाई गई. जलियांवाला बाग हत्याकांड में करीब 1000 मासूम और निहते लोग मारे गये लेकिन यह आकड़ा सही नही बल्कि इससे कही ज्यादा लोग इस हत्याकांड में मारे गये थे.
3) सन 1919 में भारत शासन अधिनियम या मार्लो मिंटो सुधार अधिनियम से भारतीय लोगों को जो उम्मीद थी वह पूरी नहीं हो पाई बल्कि इसके उलट ब्रिटिश सरकार की बर्बरता और बढ़ गई थी इस कारण लोग बहुत नाराज थे.
4) रोलेट एक्ट – रोलेट एक्ट के तहत पुलिस को किसी भी नागरिक को बिना वार्रेंट के गिरफ्तार करने, नजरबंद करने और तलाशी लेने के पुरे अधिकार दे दिए गये थे. अदालतों में पेरवी नही कर सकते थे इसका साफ़ मतलब यही था की अंग्रेजो के खिलाफ कोई भी आवाज़ नहीं उठा पाए और यह साफ़-साफ़ व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन था.
5) अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के कारण भारतीय लोग बहुत ही परेशान हो गए थे. अंग्रेजों ने प्रथम विश्वयुद्ध के बाद मूलभूत आवश्यकताओं की वस्तुओं पर भी टैक्स लगा दिया और उनका मूल्य भी बढ़ा दिया गया था जिससे एक आम नागरिक को अपने जीवन जीने के लिए भी बहुत परिश्रम करना पड़ रहा था इस कारण लोगों में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बहुत ज्यादा आक्रोशित हो गए थे.
असहयोग आंदोलन और उद्देश्य (Asahyog Andolan & Purpose)
असहयोग आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी जी ने की थी क्योंकि उन्हें पता चल गया था कि अंग्रेज उनकी बात ऐसे मानने वाले नहीं हैं उन्होंने पहले भी कई आंदोलन करके देखे थे लेकिन अंग्रेजों पर उसका कोई असर नहीं पड़ा था इसलिए उन्होंने असहयोग आंदोलन की शुरुआत करने का फैसला लिया.