Long poem on chaar sahibzade and mata gujri ji in Punjabi
Answers
Answered by
3
उस काल मारे क्रोध के तन कांपने उसका लगा,
मानों हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा।
मुख-बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल सा बोधित हुआ,
प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ क्या काल ही क्रोधित हुआ?
युग-नेत्र उनके जो अभी थे पूर्ण जल की धार-से,
अब रोष के मारे हुए, वे दहकते अंगार-से ।
निश्चय अरुणिमा-मित्त अनल की जल उठी वह ज्वाल सी,
तब तो दृगों का जल गया शोकाश्रु जल तत्काल ही।
साक्षी रहे संसार करता हूँ प्रतिज्ञा पार्थ मैं,
पूरा करुंगा कार्य सब कथानुसार यथार्थ मैं।
जो एक बालक को कपट से मार हँसते हैँ अभी,
वे शत्रु सत्वर शोक-सागर-मग्न दीखेंगे सभी।
अभिमन्यु-धन के निधन से कारण हुआ जो मूल है,
इससे हमारे हत हृदय को, हो रहा जो शूल है,
उस खल जयद्रथ को जगत में मृत्यु ही अब सार है,
उन्मुक्त बस उसके लिये रौ'र'व नरक का द्वार है।
उपयुक्त उस खल को न यद्यपि मृत्यु का भी दंड है,
पर मृत्यु से बढ़कर न जग में दण्ड और प्रचंड है ।
अतएव कल उस नीच को रण-मध्य जो मारूँ न मैं,
तो सत्य कहता हूँ कभी शस्त्रास्त्र फिर धारूँ न मैं।
अथवा अधिक कहना वृथा है, पार्थ का प्रण है यही,
साक्षी रहे सुन ये वचन रवि, शशि, अनल, अंबर, मही।
सूर्यास्त से पहले न जो मैं कल जयद्रथ-वध करूँ,
तो शपथ करता हूँ स्वयं मैं ही अनल में जल मरूँ।
मानों हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा।
मुख-बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल सा बोधित हुआ,
प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ क्या काल ही क्रोधित हुआ?
युग-नेत्र उनके जो अभी थे पूर्ण जल की धार-से,
अब रोष के मारे हुए, वे दहकते अंगार-से ।
निश्चय अरुणिमा-मित्त अनल की जल उठी वह ज्वाल सी,
तब तो दृगों का जल गया शोकाश्रु जल तत्काल ही।
साक्षी रहे संसार करता हूँ प्रतिज्ञा पार्थ मैं,
पूरा करुंगा कार्य सब कथानुसार यथार्थ मैं।
जो एक बालक को कपट से मार हँसते हैँ अभी,
वे शत्रु सत्वर शोक-सागर-मग्न दीखेंगे सभी।
अभिमन्यु-धन के निधन से कारण हुआ जो मूल है,
इससे हमारे हत हृदय को, हो रहा जो शूल है,
उस खल जयद्रथ को जगत में मृत्यु ही अब सार है,
उन्मुक्त बस उसके लिये रौ'र'व नरक का द्वार है।
उपयुक्त उस खल को न यद्यपि मृत्यु का भी दंड है,
पर मृत्यु से बढ़कर न जग में दण्ड और प्रचंड है ।
अतएव कल उस नीच को रण-मध्य जो मारूँ न मैं,
तो सत्य कहता हूँ कभी शस्त्रास्त्र फिर धारूँ न मैं।
अथवा अधिक कहना वृथा है, पार्थ का प्रण है यही,
साक्षी रहे सुन ये वचन रवि, शशि, अनल, अंबर, मही।
सूर्यास्त से पहले न जो मैं कल जयद्रथ-वध करूँ,
तो शपथ करता हूँ स्वयं मैं ही अनल में जल मरूँ।
Answered by
1
चार साहिबजादे।
Explanation:
पंजाब के प्रांत में चार साहिबजादे थे। वो चार राजा के बहुत प्रिय थे। पूरे राज्य में लोगों के अंदर उनके वीरता के कई किस्से सुनने को मिलते थे। चारों स्वभाव में काफी विनम्र और परोपकारी थे। राजा ने उन्हे अच्छी परवरिश दीया था।
चारों साहिबजादे अपने मातृ भूमि को भी बहुत प्यार करते थे। वो अपने वतन के लिए अपनी जान तक कुरवान कर देने के लिए तैयार थे। वो शत्रुओं के सामने कभी भी सर जुकाने को राजी नहीं थे।
Similar questions