Looking for full poem जीवन अपना मंदिर है मानव अपना भगवान है धरती का हर कोना अपना प्यारा हिंदुस्तान है। लिखता है जो छंद फसल के अपने हल की फाल से करता है अर्चना धरा की खुरपी और कुदाल से, बोता है श्रम के खेतों में दाना स्वर्ण विहान का नयी फसल से भर देता है आँचल जो सुनसान का उसका सुख, उसका दुख अपनी गीता और कुरान है उसके चरणों की हर रेखा अपना तीर्थ स्थान है। उसकी हर आवाज़ हमारी पूजा-पाठ-अजान है। धरती का हर कोना अपना प्यारा हिंदुस्तान है।
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we love our country ❤️
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