१) लपट कराल ज्वालजालमाल दहँ दिसि,
धूम अकुलाने, पहिचानै कौन कोहि रे।
पानीको ललात बिललात, जरे गात जात
परे पाइमाल जात 'भ्रात' तूं निबाहि रे।।
प्रिया तूं पराहि, नाथ! नाथ! तू पराहि, बाप ! बाप तूं
पराीह, पूता तू पराहि रे ।।
तुलसी बिलोकि लोग ब्याकुल बेहाल कहैं,
लेहि दससीस अब बीस चख चाहि रे।।
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अकुलानी अकुलाने अकुलान अकुलाहीं अकुलीनको अकूत ... कमयबाक कमरसारिक कमरा कमरा/रे कमरी कमरे कमरों
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