लशक्षय मेंभी पीपि और अश्वत्थ कय ववशेष महत्त्व है। ्ह हहमयि् की ऊां चयइ्ों को छोड़कर सब जगह पय्य जयतय है।
्ह बरगद कय भयई हैकभी-कभी बरगद पीपि दोनों केलिए अश्वत्थ शब्द कय प्र्ोग कक्य जयतय है। पर बरगद से
पीपि इसलिए ववलशष्ट हैकक सवयांग मनोहर है। ववशेषकर इसमेंएक नए ककसि् ननकितेहैंऔर बबनय ककसी हवय
केसांस्पशशकेहहितेदेखतेहैं, ऐसय िगतय हैकक हजयरों हजयर छोटी-छोटी झांडि्य ककसी ववशेष आगमन की सूचनय
देती है। पियश केफूि तो अांगयरेकी तरह हदखतेहैंपर पीपि केनए पल्िव ऐसेमनोहर होतेहैंकक हजयर हजयर पक्षी
दौड़ दौड़ कर आतेहैं। उस पीपि की बयत करनय चयहतय हूां।
पीपि कय पेड़ भयरत कय दनुनवयर पेड़ है, इसेकोई िगयए नय िगयएांकही भी उग जयतय है। पुरयनेमकयनों की सांधि्ों
में, जहयांधचडड़्य पीपि कय गोदय खयकर उसकेबीज बबखर जयती है। पीपि उग आतय है। ककसी ककसी पेड़ की ियिी पर
बीज पड़ जयतय हैतो पीपि उग आतय हैऔर अपनी जड़ेंदरू-दरू तेि आतय चिय जयतय हैगयांव मेंिोग इसेकयटतेहुए
िरतेहैं। पीपि कय पेड़ एक पववत्र है। पीपि केपत्तों पर िोग रयम नयम लिखतेहैंपीपि की छयांव मेंहमेंपांचय्त जुटती
हैतयकक िोग वहयांझूठ नय कहेंपीपि सत्् हैक््ोंकक ननरांतरतय है। गयांव मेंहमयरी और पीपि को वयसुदेव कहते
हैं_ वयसुदेव श्री कृष्ण नेगीतय मेंअपनेको वक्षृ ों मेंअश्वत्थ अथयशत पीपि ही घोवषत कक्य हैपीपि सष्ृष्ट कय
अनववधचछन्न प्रवयह है। पीपि कय पेड़ हैजयए उसकय बीज वही और कई जगह और उग आतय है। पीपि केपेड़ की
जड़ों पर लसर टेके श्री कृष्ण नेजरय कय तीर झेिय और अपनी िीिय समेटी ।
1) पियश और पीपि केपत्तों मेंक््य अांतर है? 2
2) पीपि की समयनतय ककस पेड़ सेकी जयती है? 2
3) िेखक केगयांव में वयसुदेव ककसेकहय जयतय हैऔर क््ों? 2
4) गयांव के िोग पीपि को कयटनेसेक््ों िरतेहैं? 2
5) गयांव की पांचय्तेंपीपि के पेड़ केनीचेकी होती हैं? 1
6) इस गद्यांश कय उधचत शीषशक दीष्जए। 1
Answers
Answered by
0
Answer:
again give hindi
i do no hindi
Similar questions