लता-कुंज का वर्णन कीजिए।
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वह स्थान जिसके चारो औऱ घनी लता छाई हो । वह स्थान जो वृक्ष लता आदि से मंड़ा की तरह ढ़का हो । —उ॰(क) जहँ वृदावन आदि उजर जहँकुंज लता विस्तार । तहै विहरत प्रिय प्रीतम दोऊ, निगम भृग गुंजार ।—सुर (शब्द॰) । (ख) सघन कुंज छाया सखद सीतल मंद समीर । मन ह्वै जाता अजहुँ वहै कालिंदी के तीर ।— बिहारी (शब्द॰) । यो॰— कुंज कुटीर = लतागृह । कुंज की खोरी = दे॰ 'कुंचगली' (१) उ॰— सुरदास प्रेम सकुचि निरखि मुख भजे कुंज की खोरी ।— सूर॰ १० । २६७ । कुंजगली = (१) बाटिका में लताओं से छायापथ । भूलभुलैया । (२) तग और पतली गली । कुंजबिहारी=दे॰ श्रीकृष्ण । उ॰— उ॰— जब तै बिछुरे कुँज बिहारी । नींद न परे घटे नहिं रजती रजती बिरह जुर भारी ।—सूर॰, १० ।३२४७ ।
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लता कुंज छोटा सा बनावती जंगल था जिसमें संध्या साए साए करने लगी थी डूबते हुए सूर्य की अंतिम किरणें पेड़ों की पत्तियों से विदाई ले रही थी चारों और सुनसान था