लद्दाख की फसलें (essay)
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लद्दाख में अपने खेत में किसान टी नामग्याल
नामग्याल ने बताया, 'पहले इस इलाके में बहुत ज्यादा बर्फ गिरती थी। 20—30 साल पहले खारदुंगला दर्रा छह महीनों के लिए बंद हो जाया करता था। इसलिए अगर कोई कार यहां से लेह जाती तो वह वहीं फंस जाती थी। यहां की गाड़ियां वहां फंसकर रह जाती थीं और वहां की गाड़ियां यहां खड़ी हो जाती थीं।
पानी की समस्या का खेती पर दुष्प्रभाव केवल इसी क्षेत्र तक सीमित नहीं है। नामग्याल का कहना है कि इस क्षेत्र के सभी गांवों को एक ही समस्या से जूझना पड़ता है। खारदुंग गांव में जोकि हुंदर से लगभग सौ किलोमीटर दूर है 45 साल के नुरबू भी इसी तरह की समस्या से जूझ रहे हैं। वह बताते हैं कि न केवल पानी की आपूर्ति कम हो गई बल्कि वह अब और भी कम दिनों के लिए उपलब्ध रहता है। मतलब, पानी भी कम और पानी मिलने वाले दिन भी कम।
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भारत के राज्य जम्मू कश्मीर और कश्मीर के लद्दाख क्षेत्रों में फसल वितरण की जाँच की गई। फलों और सब्जियों का उत्पादन श्रीनगर (कश्मीर की राजधानी) में अपेक्षाकृत ठंडे ग्रीष्मकाल और मध्यम वर्षा वर्ष के दौर में अत्यधिक विकसित हुआ था। कई तरह की सब्जियां थीं, जिनमें मुख्य रूप से कुकुर्बिटासी और लेगुमिनोसे और दूसरी क्रुसिफेरा, सोलानासी, उम्बेलीफेरा और लिलिएसी शामिल हैं। कश्मीर में मुख्य प्रधान खाद्य फ़सलें धान (ओरिज़ा सैटिवा) और मक्का (ज़ीया मेयस) थीं। लद्दाख एक सूखी और ठंडी जलवायु के भीतर तिब्बती पठार पर स्थित है। ये गंभीर जलवायु परिस्थितियाँ उपलब्ध फसल प्रजातियों और खेती की अवधि को प्रतिबंधित करती हैं। इसलिए, लद्दाख में फसल और फसल प्रणाली कश्मीर की तुलना में सरल थी। लद्दाख में मुख्य प्रधान खाद्य फसलें जौ (होर्डियम वल्गारे) और आलू (सोलनम ट्यूबरोसम) थीं
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