लद्दाख के रहन सहन के बारे में लिखिए ।
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Laddakh ke log bahut bhari avang garm vastra pahante Hain. Vahan ke log palatu janvar palte Hain,avang gharon se Bahar bahut Kam nikalte hain..
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1.जम्मू-कश्मीर के पर्यटन विभाग द्वारा हर साल स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर 1 से 15 सितंबर तक लद्दाख महोत्सव आयोजित किया जाता है. स्थानीय लोगों और लेह तथा कारगिल जिला प्रशासन की मदद से इस महोत्सव का आयोजन किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य को सदियों पुरानी लद्दाख की सांस्कृतिक परंपराओं को पुनर्जीवित करने और दुनिया भर के लोगों से इसका परिचय कराने से है. ताकि लोग इस लोक विरासत से जुड़ सकें, जान सकें और इस संस्कृति को बढ़ावा मिल सके.
2. लद्दाख महोत्सव के उद्घाटन समारोह में लेह की विभिन्न सांस्कृतिक मंडलियों द्वारा शानदार जुलूस निकाला जाता है. गांव के लोग पारंपरिक वेशभूषा में भाग लेते हैं, गीत गाते हैं और पारंपरिक संगीत के धुन पर नाचते हैं. यहां प्रतिभागियों द्वारा अलग-अलग प्रकार के पारंपरिक नृत्यों का प्रदर्शन किया जाता है.
विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता
1. नियमित कार्यक्रमों के अलावा, लेह के आसपास के लोगों द्वारा आयोजित दिलचस्प तीरंदाजी का भी यहां पर मजा लिया जा सकता है. सामाजिक मान्यताओं के मद्देनजर प्रतिभागियों को अपना कार्यक्रम पेश करना होता है. इस महोत्सव में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. जिनमें पोलो मैच, संगीत समारोह, मुखौटा नृत्य, खरदांग-ला तक मोटर साईकल अभियान, थंका प्रदर्शनी, तीरंदाजी, समोरी-री उत्सव, नदी तैराकी, नुबरा उत्सव तथा लोकगीत प्रमुख हैं.
2. यहां एक प्रमुख पोलो टूर्नामेंट होता है जिस ‘लद्दाख महोत्सव कप’ कहते हैं. इस पोलो टूर्नामेंट में अलग-अलग भागों से लोग भाग लेते हैं. पश्चिमी हिमाचल के लोगों द्वारा अपने पुराने रीति-रिवाजों के हिसाब से खेल खेले जाते हैं जिन्हें यहां आए पर्यटक देखकर मंत्र मुग्घ हो जाता है.
3. स्थानीय संस्कृति की महक लिए सोमोरी टी महोत्सव और नुब्रा महोत्सव के अलावा नाट समारोह, लोक संगीत, लोक नृत्य तथा पर्वतीय कृषि पर आधारित कृषि प्रदर्शनी भी लद्दाख महोत्सव के अन्तर्गत आयोजित किए जाते हैं.
4. इसी तरह का त्योहार कारगिल में भी आयोजित किए जाते हैं. इसमें भी सांस्कृतिक विरासत को समटे पारंपरिक खेल जैसे तीरंदाजी, पोलो टूर्नामेंट आयोजित किए जाते हैं. बोराक पास के लोगों द्वारा कई तरह का कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. ये सभी कार्यक्रम पुरानी विरासतों के अपने में समेटे होती हैं. पश्चिमी हिमाचल के द्रास में पोलो खेल के आयोजन किया जाता है. झंसार घाटी में भी एक अन्य तरह का खेल आयोजित किया जाता है जिसे ‘साका’ कहते हैं. इसमें रंगीन पोशाकों से सजे घोड़ों से रेसिंग प्रतियोगिता की जाती है.
5. राज्य पर्यटन विभाग की लद्दाख महोत्सव के माध्यम से यहां की पुरानी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षण प्रदान करने की एक अनूठा कदम है.
इतना ही नहीं लद्दाख महोत्सव में आने वालों पर्यटकों के लिए भी यह एक मौका होता है कि वह यहां के लोगों के रहन-सहन, सांस्कृति गतिविधियों से परिचित हो जाता है.
महोत्सव देखने के लिए आने वाले सैलानी मनोहारी प्राकृतिक वातावरण के साथ-साथ लगभग पच्चीस विशाल गोंपा 'बौद्ध मठों' और खूबसूरत झीलों, चट्टानों पर बौद्ध संस्कृति को उकेरते भिति चित्रों आदि का भी आनंद उठा सकते हैं.