Hindi, asked by yashg5, 1 year ago

लड़की लड़का एक समान विषय पर लघु नाटिका लिखिए​

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Answered by shishir303
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                                            लघु नाटिका

                                   लड़का-लड़की एक समान

(पात्र — कामिनी, गरिमा, गौरव, वाणी, सारांश)

मंच पर एक कोचिंग सेंटर के कमरे का दृश्य है, सभी छात्र-छात्रायें अभी नही आयें हैं क्योंकि बाहर बहुत जोर की बारिश हो रही है, इस कारण रास्तों में पानी भर गया है। क्लास लेने वाले टीचर भी नही आयें हैं, केवल पांच छात्र-छात्रायें ही आ पाये हैं। वो क्लासरूम में बैठे बात कर रहे हैं।

कामिनी — आज तो लगता है सर भी नही आयेंगे। इसलिये आज की क्लास तो नही होने वाली।

वाणी — हाँ ये लो सर का व्हाट्स एप भी आ गया लिखा है कि पानी भर जाने के कारण रास्ता बंद है इसलिये वो आज नही आ पायेंगे।

गौरव — हम लोग वापस भी नही जा सकते जब तक कि बारिश हल्की नही हो जाती।

गरिमा — तो क्यों न तब तक कोई मजेदार बाते करते हैं।

सारांश — अरे गरिमा मैंने सुना है कि तुम एअर फोर्स में जाना चाहती हो, पायलट बनकर प्लेन उड़ाना चाहती हो।

गरिमा — बिल्कुल सही सुना है। मैं अपने देश के लिये कुछ करना चाहती हूँ।

सारांश — पर यार, लड़ाई करना तो मर्दों का काम है, तुम सेना में जाकर कैसे लड़ सकती हो।

गरिमा — ये तुम्हारी गलतफहमी है। आज सेना में लड़कियां भी जा रही हैं। अभी हाल ही में महिला फाइटर पाइलट के रूप में भावना कांत, अवनि चतुर्वेदी जैसी लड़कियों ने इंडियन एअरफोर्स में सफल ट्रेंनिग पूरी की है।

कामिनी — तुम लड़के लोग हम लड़कियों को किसी से कम नही समझो।

वाणी — आज हम लड़कियां हर क्षेत्र में तुम लड़कों से बराबर का मुकाबला कर रहीं हैं।

कामिनी — ओलंपिक खेल हों, या एशियाई खेल हम लड़कियां तुम लड़कों से ज्यादा मेडल लेकर आ रही हैं।

गरिमा — वो समय गया जब तुम पुरुष लोग हम लोगों को कमजोर समझते थे। आज हम क्षेत्र में तुम्हारे बराबर हैं।

गौरव — अरे तुम लोग एकदम हम लड़कों पर टूट पड़ीं। हमने ये थोड़ी कहा कि तुम कमजोर हो।

सारांश — और मैंने भी जो कहा शायद गलत कहा। मेरे विचार से लड़कियां वो हर काम कर सकती हैं जो लड़के कर सकते हैं।

गौरव — हाँ, बिल्कुल। हमारे देश में महिलाओं के प्रति असमानता के नजरिये में बदलाव आ रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति थोड़ी भले कमजोर हो पर शहरी क्षेत्रों में लड़कियों के प्रति उतना भेदभाव नही होता।

वाणी — तुम लोग ठीक कह रहे हो। धीरे-धीरे गांवों में सुधार होता जायेगा बल्कि हो रहा है, गीता-बबीता तो ग्रामीण क्षेत्र से हैं, उनके पिता उनको कितना आगे बढ़ाया।

कामिनी — गौरव और सारांश तुम्हारे जैसी अच्छी सोच वाले लड़के रहेंगे तो लड़के-लड़कियों के बीच की असमानता का भेद-भाव जल्दी मिट जायेगा।

गरिमा — लड़का-लड़की एक समान यही बने भारत की पहचान।

सारांश — अरे देखो, बारिश रुक गयी। चलो अब घर चलते हैं।

(पांचो छात्र-छात्रायें अपना बैग उठाकर क्लासरूम से बाहर निकल जाते हैं।

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