Math, asked by rajuk80860, 4 months ago

लड़के तथा लड़कियों की जनसंख्या जिलेवार तालिका में दशहरा​

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  • जिले में जनसंख्या वृद्धि दर धीरे-धीरे काबू में आ रही है और श्योपुर शहर की आबादी 30 प्रतिशत की दर से बढ़ती जा रही है। बढ़ती आबादी के साथ शहर का दायरा भी तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन जरूरत के मान से लोगों के लिए सुविधा- संसाधन नहीं बढ़ रहे है। सरकार के साथ सभी जाति समाजों के लिए चिंता का कारण जिले में अभी भी लड़के और लड़की का बढ़ता लिंगानुपात है। लिंगानुपात में विषमता एक जटिल सामाजिक समस्या के रूप में उभरी है। जिले में लिंगानुपात दर 1000: 902 है। यानि एक हजार लड़कों की तुलना में 98 लड़की कम पैदा हो रही हैं।

  • आजादी के बाद हुई 7 जनगणनाओं में सिर्फ दो बार ही लिंगानुपात आंकड़ा 900 के ऊपर दर्ज हुआ है। सन् 1951 में 908 था। इसी दशक में लड़कों की तुलना में लड़कियों की जन्मदर में सबसे बड़ी गिरावट आई तथा 47 अंक गिरकर सन् 1961 में लिंगानुपात का आंकड़ा 861 पर सिमट गया। इसके बाद परिवार नियोजन की दिशा में सरकार और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रयासों की बदौलत स्थिति में सुधार आ रहा है। बावजूद इसके सिर्फ 1951 और 2011 को छोड़कर हर जनगणना में जिले में लड़का- लड़की का अनुपात 1000 पर 900 से कम ही रहा है। वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक जिले में एक हजार पुरुषों पर 902 महिलाएं हैं, जबकि वर्ष 2001 की जनगणना में यह आंकड़ा 895 था।

  • बीते 10 साल में लड़कों की तुलना में पैदा होने वाली लड़कियों की संख्या 7 अंक बढ़ी है। पिछले 70 साल में सर्वाधिक 1951 की जनगणना के अंतर्गत जिले का लिंगानुपात 908 दर्ज हुआ था। इसके बाद सन् 1961 में 861, सन् 1971 में 886, सन् 1981 में 887, सन् 1991 में 880 तथा सन् 2001 में 895 लड़की एक हजार लड़कों पर पैदा हुई है।

जनसंख्या के साथ-साथ लिंगानुपात चिंताजनक

  • वहीं वर्ष 2011 की जनगणना में जिले की कुल जनसंख्या 6 लाख 87 हजार 952 दर्ज हुई थी। जो 2001 की जनसंख्या 5 लाख 59 हजार 495 से 23 फीसदी अधिक है। वहीं दूसरी ओर श्योपुर शहर की जनसंख्या भी सन् 2001 की जनगणना में 5 लाख 50 हजार 26 से बढ़कर 2011 में 72 हजार 700 तक पहुंच गई थी । यह वर्तमान में एक लाख का आंकड़ा छूने के करीब है। श्योपुर शहर की जनसंख्या तेज गति से बढ़ रही है । जनसंख्या वृद्धि दर 30 प्रतिशत से अधिक है।

शहर में बढ़ती आबादी से संसाधनों की कमी के चलते अव्यवस्थाओं से जूझते शहरवासी।

जिले की 85 प्रतिशत आबादी गांव में

  • जिले की 85.55 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत है। जनगणना के मुताबिक जिले की कुल आबादी में 2 लाख 95 हजार 630 पुरुष और 2 लाख 64 हजार 635 महिला शामिल हैं। वनों से आच्छादित जिले में जनसंख्या का घनत्व प्रतिवर्ग किलोमीटर पर 84 है। जिले में 20.8 प्रतिशत सहरिया आदिवासी और 16.65 प्रतिशत अनुसूचित जाति वर्ग के लोग निवास करते हैं।

जनसंख्या स्थरीकरण पखवाड़ा आज से, रैली निकलेगी

  • जनसंख्या को स्थिर करने के उद्देश्य से परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से 11 जुलाई को जनसंख्या स्थरीकरण पखवाड़ा शुरू होने जा रहा है। विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर बुधवार सुबह शहर में स्कूली बच्चों की रैली निकलेगी। गांधी पार्क से यह रैली शुरू होकर शहर के मुख्य मार्ग से गुजरेगी। जनसंख्या विस्फोट पर अंकुश लगाने के प्रति लोगों में जागरूक लाने के लिए कई स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से विभिन्न कार्यक्रम रखे गए हैं। सीएमएचओ ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा 24 जुलाई तक चलने वाले पखवाड़े के दौरान शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य कर्मचारी घर-घर जाकर नव दंपतियों को अधिक संतान पैदा करने से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों के प्रति सचेत करते हुए परिवार नियोजन के बारे में जानकारी देंगे |

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