Lupt hoti bhartiya sanskriti karan abam bachav hindi essay
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लुप्त होती भारतीय संस्कृति — कारण एवं बचाव
आज हम अपने चारों तरफ देख रहे हैं कि हर जगह पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। भारतीय लोग अपनी भारतीय संस्कृति और जीवन शैली को भूलते जा रहे हैं। अगर यह सब निरंतर चलता रहा तो एक दिन भारतीय संस्कृति पूरी तरह लुप्त हो जाएगी। इसके कारण और इसके बचाव पर विवेचन करते हैं..
कारण —
पाश्चात्य संस्कृति ने भारतीय संस्कृति पर प्रभाव क्यों जमा किया है? लोग इसकी तरफ क्यों आकर्षित हो रहे हैं? तो इसका कारण है भौतिकवाद। आज भौतिकवाद का युग चल रहा है। सब व्यक्ति केवल अपनी सुख-सुविधा में लीन है और पाश्चात्य संस्कृति भौतिकवाद को प्रोत्साहित करती है। तरह-तरह के आधुनिक उपकरणों और तकनीकों इस भौतिकवाद को बढ़ावा ही मिला है। मानव जितना अधिक सुविधा संपन्न होता जाता है। उतना ही अधिक भौतिकवादी होता जा रहा है। सुविधाजनक उपकरणों के आविष्कार कर जीवन को एकदम सुविधा संपन्न बना दिया है।
इसके अतिरिक्त पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव पूरे संसार पर पड़ने लगा है। भारतीय संस्कृति में प्रचलित मान्यताओं और परंपराओं को आधुनिक पीढ़ी एक बोझ के समान मानने लगी है। उसे भारतीय परंपराएं और मान्यताएं ढकोसला लगती हैं, और वह पाश्चात्य लोगों की तरह उन्मुक्त जीवन शैली जीना चाहती है। इस कारण वह अपने भारतीय संस्कृति को भूलते जा रहे हैं।
बचाव —
हर संस्कृति की कुछ ना कुछ खास बात होती हैं। इससे बचाव का उपाय यही है कि अधिक से अधिक भारतीय संस्कृति को प्रोत्साहित किया जाए और उसके सकारात्मक पक्षों को नई पीढ़ी के सामने रखा जाए। जिससे नयी पीढ़ी उसके सकारात्मक पहलुओं को समझ सके। इसके साथ ही पाश्चात्य संस्कृति के दुष्प्रभावों को भी बताया जाए और नई पीढ़ी के मन में यह बात बिठायी जाये कि अपनी संस्कृति और अपनी परंपरा अपनी ही होती है और हमें अपनी संस्कृति भारतीय संस्कृति पर गर्व करना चाहिए, और उसका पालन करना चाहिए। हमारी संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति है।
यह पूर्णता भौतिकवादी ना होकर अध्यात्म और व्यवहारिक जीवन शैली से जुड़ी हुई है। जिसमें रिश्ते-नाते, भावनाओं, विचारों और दर्शन का महत्व है, जबकि पाश्चात्य संस्कृति में इन सब बातों का अभाव है। यह बातें अगर हम अपनी नई पीढ़ी को समझा सके तो वह भी भारतीय संस्कृति को अपनाने में पूरी रूचि लेगी।