लवणता शब्द को परिभाषित कीजिए
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ग्राम समुद्री जल के वाष्पीकृत हो जाने के बाद बचे हुए ठोस पदार्थ का भार ग्राम में लवणता के रूप में परिभाषित किया जाता है। अगर उस ठोस पदार्थ का भार ग्राम है (और यह सामान्यतः इस संख्या के निकट ही होता है।) तो लवणता को व्यक्त किया जायेगा ( ग्राम प्रति हजार ग्राम) अर्थात प्रति ग्राम समुद्री जल में औसत लवणता ग्राम होगी।
Explanation:
समलवणता रेखाएं
महासागरीय लवणता
सामान्य रूप से सागरीय जल के भार व उसमें घुले हुए पदार्थों के भार के अनुपात को सागरीय लवणता कहते हैं। डिटमार( Dittmar ) महोदय के अनुसार समुद्र ( महासागरीय लवणता ) के जल में 47 विभिन्न प्रकार के लवन है.
महासागरीय जल में उपस्थित लवणता के कारण समुद्र का जल खारा होता है. एक 1 किलोमीटर समुद्री जल में 4.10 करोड़ टन लवण होता है. इस आधार पर यदि सारे जलमंडल के नमक को समतल रूप से बिछाया जाए तो संपूर्ण पृथ्वी पर 150 मीटर मोटी नमक की परत हो जाएगी.
गणितीय रूप से सागरीय लवणता को प्रति 1000 ग्राम जल में उपस्थित लवण कि कुल मात्रा (प्रति हजार) में व्यक्त किया जाता है. समुद्री की लवणता लगभग 35 प्रति हजार समुद्र है तो 1000 ग्राम जल में लगभग 35 ग्राम लवण होता है. महासागरीय लवणता का मुख्य स्रोत पृथ्वी है. मुख्य रूप से लवण इकट्ठा करने के साधनों में नदियां, समुद्र की लहरें, हवाएं, ज्वालामुखी विस्फोट आदि है|
सागरीय जल में लवण की मात्रा में भिन्नता पाई जाती है तो भी लवणों का सापेक्षिक अनुपात लगभग एक सा ही रहता है.
समलवणता रेखाएं
महासागरीय क्षेत्रों में समान लवणता वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखाएं समलवणता रेखाएं कहलाती है.
खुले महासागरों में लवणता का वितरण - अयनरेखीये क्षेत्रों में लवणता की मात्रा सर्वाधिक 36 प्रति हजार पाई जाती है. उच्च तापमान, प्रचलित उष्ण व शुष्क पवनें, वर्षा का अभाव एवं स्वच्छ जल की कम आपूर्ति के कारण इस क्षेत्र में लवणता अधिक पाई जाती है. अयनरेखीय क्षेत्रों से दोनों और अर्थात भूमध्य रेखा एवं ध्रुवों की ओर लवणता कम होती जाती है. किंतु लवणता की मात्रा भूमध्य रेखा क्षेत्रों की अपेक्षा ध्रुवीय क्षेत्रों में कम पाई जाती है. इसका कारण यह है कि ध्रुवीय प्रदेशों में हिम पिघले हुए जल की आपूर्ति अधिक एवं वाष्पीकरण कम होता है. भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में स्वच्छ जल की आपूर्ति एवं वाष्पीकरण दोनों ही अधिक रहते हैं. महासागर के तटीय क्षेत्र में लवणता के वितरण में भी स्थानीय भिन्नता मिलती है. उदाहरण के लिए अमेज,कांगो, नाइज़र व सिंध आदि नदियों के मुहानो पर स्वच्छ जल की आपूर्ति होते रहने के कारण लवणता कम पाई जाती है.
उत्तरी अटलांटिक महासागर के सारगोसे क्षेत्र में लवणता 38 प्रति हजार मिलती है. इस उच्च लवणता का कारण यह है कि यहां महासागरीय धाराओं के चक्रीय प्रवाह से मध्यवर्ती जल का मिश्रण अन्य क्षेत्रों के जल से नहीं हो पाता.
आंशिक रूप से घिरे सागर में लवणता का वितरण
आंशिक रूप से घिरे सागर में लवणता का वितरण स्थानिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है. भूमध्य सागर में लवणता का वितरण काफी भिन्न पाया जाता है. इसके उत्तर पूर्वी भाग में लवणता 39 प्रति हजार एवं दक्षिण पूर्व में 41 प्रतिशत पाई जाती है. लाल सागर के उत्तरी भाग में 41 प्रति हजार एवं दक्षिणी भाग में 36 प्रति हजार लवणता की मात्रा मिलती है. फारस की खाड़ी में लवणता की मात्रा 48 प्रति हजार पाई जाती है.
वर्षा का अभाव, स्वच्छ जल की कम आपूर्ति, वास्पीकरण की अधिकता,उच्च तापमान आदि कारणों से यह लवणता अधिक रहती है.
नदियों द्वारा प्रचुर स्वच्छ जल की आपूर्ति,हिम से पिघले जल की आपूर्ति, निम्न तापमान,निम्न वास्पीकरण दर आदि कारणों से काला सागर में लवणता की मात्रा 18 प्रति हजार, बाल्टिक सागर में 15 प्रति हजार और फिनलैंड की खाड़ी में केवल 2 प्रति हजार ही पाई जाती है.