Hindi, asked by meetkotak681, 1 month ago

२०२० में आई िोरोना म ामारी में सिि मानि जानत ने क्या िोया और क्या पाया? इस पर
विस्तार से लिखिए

Answers

Answered by lavairis504qjio
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Explanation:

कोराना के कोहराम के बीच घर पर बैठे हम सब हालात के आगे नतमस्तक हैं। कहीं ना कहीं ये वक्त हमें एहसास दिला रहा है कि समय से शक्तिशाली कुछ भी नहीं। साथ ही यह एक मौका है सोचने का,समझने का और महसूस रहने का कि जीवन की इस आपाधापी में हमसे क्या छूट गया था। कुछ अपने थे जो रुठ गए थे। कुछ रिश्ते थे जिसमें गांठ पड़ गई थी। सपनों और संघर्ष के बीच अपनो से जो दूरी थी उसे पाटने का मौका हमें आज मिला है। कुछ सीखना था, कुछ बातें थी, कुछ शौक थे, कुछ जज्बा था. कुछ जज्बात थे जो तेज गति से गुजरती जिंदगी की गाड़ी से दिखाई नहीं दे रहे थे।

अब वक्त मिला है कि हम ठहर कर वो सब देख सकें। हम ये समझ सकें कि हमने क्या खोया,क्या पाया? जो पाया वो क्या काफी है? जो खोया वो क्या ठीक था?

वैसे अगर हम ध्यान से देखें तो आज जो चीजें हमारी जिंदगी में वापस आ रही हैं क्या वो नई हैं? शायद नहीं, ये तो वो चीजें हैं जो हमारे साथ बचपन से थीं। इसमें कुछ भी नया नहीं बल्कि ये तो बहुत पुरानी है, इतनी पुरानी कि इसे हम भूल चुके थे। इसीलिए आज हमें ये नई सी महसूस हो रही है।

जीवन की ऊंंचाइयों को पाने की हसरत में हम इतना मशगूल थे कि ये भूल गए थे कि जीवन में पैसा और प्रसिद्धि ही सबकुछ नहीं है। सबसे जरूरी है खुश रहना। जीवन का असली मकसद है मुस्कुराना और मुस्कुराहट बांटना।

जरा ध्यान से सोचिए सच तो यही है ना? जिस सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही है वो दरअसल अपने परिवार के करीब आने के एक बहाना है। बाहर की दुनिया को थोड़ी देर छोड़ कर अपनी घरेलू दुनिया को फिर कनेक्ट करने का वक्त है।

ये सब नया नहीं ये वो बाते हैं जो हम सब भूल गए थे। अपने घर,परिवार और दोस्तों को वक्त देना कोई नहीं बात नहीं बल्कि ये भी वो बात है जिसे हम भूल चुके थे। मॉल,क्लब,पार्टी को छोड़कर अपने साथ रहना,अपने आप में रहना भी कोई नहीं बात नहीं बल्कि यही जिंदगी जीने के सही तरीका है। अपने आप को वक्त देना,अपने को समझना,अपने को पहचानना यही तो इंसान का अल्टीमेट लक्ष्य है।

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