Hindi, asked by anusarv2016, 8 months ago

' मैं अब पुस्तकों के भीतर था' - ऐसा राहुल सांस्कृत्यायन ने क्यों कहा?

Answers

Answered by yash222282
2

Explanation:

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,

पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,

उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,

और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,

पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,

उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,

और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,

पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,

उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,

और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,

लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।

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