मै अगर प्रधान मंत्री होता तो
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यदि मैं भारत का प्रधान मंत्री होता (निबंध) | Essay on If I were the Prime Minister of India in Hindi!
कल्पना करना कोई नयी बात नहीं है। सभी कल्पना करते हैं, करना भी चाहिए। किन्तु, कल्पना का आधार उदात्त होना चाहिए। उदात्तता के साथ-साथ उसमें क्रियाशीलता भी होनी चाहिए। निष्क्रिय कल्पना का कोई अर्थ नहीं, इसकी कोई उपयोगिता नहीं होती। यदि मैं भारत का प्रधानमंत्री होता? एक मधुर कल्पना है। यदि
मेरी कल्पना साकार हो जाए, तो मैं देश का कायापलट कर दूँगा । किसी जादू की छड़ी से नहीं, बल्कि अपने सद्कर्त्तव्यों से, अपनी दृढ़ इच्छा-शक्ति से ।
आज हमारा भारत विभिन्न समस्याओं के घेरे में छटपटा रहा है । सदियों की परतंत्रता के कारण हमारे देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक स्थितियों में जो ह्रास हुआ, उसकी पूर्ति आज तक नहीं हो सकी है । मैं जानता हूँ कि प्रधानमंत्री का पद अत्यन्त दायित्वपूर्ण होता है, अत: प्रधानमंत्री बनकर मैं सर्वप्रथम देश की उन कमजोरियों को दूर करने का प्रयास करूँगा, जो हमारी प्रगति में बाधक बनी हुई हैं । मैं यह भी जानता हूँ कि प्रधानमंत्री सम्पूर्ण देश का प्रतिनिधि होता है, अत: मैं प्रमुख राजनीतिक दलों से संभाषण करूँगा तथा उनके सहयोग से एक राष्ट्रीय सरकार का निर्माण करूँगा । मैं अपने मंत्रिमंडल में विभिन्न क्षेत्रों के सुयोग्य व्यक्तियों को सम्मिलित करूँगा । मैं अपने पूर्व प्रधानमंत्रियों के सद्विवेक और सुनीतियों को अपनाऊंगा ।
हमारे देश में गरीबी, बेरोजगारी, महँगाई आवश्यक वस्तुओं की कमी आदि विकराल समस्याएँ हैं । इस समस्याओं के समाधान के लिए मैं एक प्रभावकारी एवं नयी योजना का निर्माण करूँगा । मैं कृषि एवं औद्योगिक प्रगति पर विशेष ध्यान दूँगा । किसानों को मैं ऐसी सुविधाएँ दूँगा, जिसमें वे अधिक अन्नोत्पादन कर सकें और हमारा देश अन्न के मामले में पूर्णत: आत्मनिर्भर हो सके । किसान कृषि की नवीन एवं वैज्ञानिक पद्धति अपनाएँ, इसके लिए मैं उनके प्रशिक्षण एवं उपयुक्त साधनों की व्यवस्था करूँगा । वृहद उद्योगों के विकास पर भी मेरा ध्यान होगा, परन्तु लोग लघु एवं कुटीर उद्योगों के प्रति विशेष रूप से आकृष्ट हों, इस दिशा में मेरा अधिकाधिक प्रयास होगा ।