मोबाइल फोन्स और विद्यार्थी - Mobile Phones Aur Vidhyarthi par nibandha - Mobile Phones and Students
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वर्तमान के प्रतिस्पर्धात्मक युग में विभिन्न कम्पनियां आकर्षक लुभावने प्रस्तावों द्वारा इसका खूब प्रचार-प्रसार कर रही है मोबाइल प्रत्येक वर्ग का साथी बन चुका है| व्यापारीवर्ग, कृषि जगत, अन्य उद्यमों के लिए वरदान सरीखा होने के साथ ही विद्यार्थी वर्ग के लिए भी यह सहयोगी की भूमिका निभा रहा है| इंटरनेट के प्रयोग से ज्ञान का अथाह सागर एक क्लिक पर उपलब्ध है| इससे बड़ा उदहारण क्या होगा कि आजकल डिक्शनरी सिर्फ अलमारी में सिमट गई है| नए विद्यार्थी तो जानकर आश्चर्य करेंगे कि पूर्व पीढ़ी के विद्यार्थी गणित की गणना कागज पेन पर करते थे, कठिन शब्दों के अर्थ शब्दकोश में देखते थे और नोट्स बनाने के लिए पुस्तकालय से अतिरिक्त पुस्तके लेते थे|इ –लर्निंग ने ज्ञान व रोजगार के नये माध्यम खोल दिए है| कोई भी कहीं से भी कभी भी किसी से सम्पर्क साध कर उचित पारिश्रमिक देकर ज्ञानार्जन कर सकता है|
जिस तरह मोबाइल के अनेक फायदे हैं उसी तरह इसके असीमित व अनियंत्रित प्रयोग के भयावह नुकसान भी है| वर्तमान में माता-पिता दोनों की अति व्यस्तता बच्चो में मोबाइल की लत विकसित कर रही है| न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य व समय को चोपट कर रही है वरन उनके बाल मस्तिष्क को विकृत कर रही है| इंटरनेट के द्वारा मोबाइल पर अश्लील वीडियोज आसानी से उपलब्ध है जो किशोरों को समय से पूर्व प्रतिबंधित दृश्य दिखाकर पथभ्रष्ट करने के लिए पर्याप्त है| अखबारों में नित्य ऐसी घटनाएँ पढने को मिलती है जो अविश्वसनीय लगती है | बाल अपराधो में आश्चर्यजनक रूप में वृद्धि हुई है| ऐसे दृश्य तेजी से मस्तिष्क को प्रभावित करते है| अवचेतन मन पर अंकित होकर बच्चोंको अपराध करने की दुष्प्रेरणा देते है| विद्यार्थी विभिन्न प्रकार के खेल और व्यायाम को भूलते जा रहे है| इससे शारीरिक स्वास्थ्य का स्तर गिरता जा रहा है और नवीन बीमारियाँ जन्म ले रही है| मोबाइल ने बच्चो में एकाकी पृवत्ति को बढ़ावा दिया है| सामाजिक सम्बन्ध पहले की तरह मधुर नहीं रहे| अपनी उम्र गलत बताकर फेसबुक पर अकाउंट बनाना विद्यार्थियों के लिए आम बात है| वे वहा पर दोस्ती के नये मायने सीख रहे है जो हमारी संस्कृति के दृष्टिकोण से कतई उचित नहीं है|
उपरोक्त वर्णित विवरण के अध्ययनोपरांत हम ये निष्कर्ष निकाल सकते है कि निसंदेह मोबाइल विद्यार्थियों के लिए एक सहायक की भूमिका निभाता है | पर अति की वर्जना है| इस आयु में नियन्त्रण भी आवश्यक है अत: अभिभावकों को इसका संतुलित उपयोग करने की आज्ञा देनी चाहिए| उन्हें अश्लील साइट्स को प्रतिबंधित करके केवल उपयोगी सामग्री ही अपने बच्चों को उपलब्ध करवानी चाहिए| तभी मोबाइल वास्तविक अर्थों में सहयोगी होगा|
Answer: आज मोबाइल फोन सभी की जिंदगी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। मोबाइल ने हर क्षेत्र में क्रांति ला दी है। अपने विभिन्न इस्तेमालों के कारण मोबाइल फोन काफी प्रचलित हो चुका है। समाज का हर वर्ग अपनी-अपनी आवश्यकतानुसार इससे लाभ उठा रहा है। विद्यार्थी वर्ग भी इससे अछूता नहीं है। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय- हर स्तर के विद्यार्थी की पहली पसंद मोबाइल बन चुका है। आज विद्यार्थी मोबाइल पर इंटरनेट की मदद से कहीं भी बैठे वांछित सामग्री को डाउनलोड करके और उसका प्रिंट लेकर अपनी पढ़ाई को गति प्रदान कर रहा है। इसके अतिरिक्त देश-विदेश के विभिन्न कॉलेजों में प्रवेश, प्रतियोगिताओं, परीक्षापरिणामों, नौकरी आदि से संबंधित भरपूर जानकारी वह इसी से एकत्रित करता है किंतु विद्यार्थियों का एक वर्ग ऐसा भी है जो इसका दुरुपयोग करता है। ऐसे विद्यार्थी आपस में घंटों बेकार में गप्पे हाँकने, ज़रूरत से ज्यादा मैसेज भेजने, वीडियो गेम्ज़ खेलने, चित्र खींचने और नये-नये मोबाइल खरीदने और उनकी ही बातें करते रहने में अपना समय बर्बाद करते हैं। अतः ऐसे विद्यार्थियों को इसकी उपादेयता समझनी चाहिए और इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।