मोबाइल का दुष्परिणाम वे अपने छोटे भाई को पत्र लिखो?
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सलोनी नारंग
135, हनुमान नगर
इंदौर
15 अप्रैल, 2014
प्रिय संजीव
स्नेह!
आशा है तुम छात्रावास में प्रसन्न होगे। तुम्हारी पढ़ाई भी ठीक चल रही होगी।
तम्हें छात्रावास में देखकर मुझे अपने छात्रावास के दिन याद आ रहे हैं। मुझे याद है कि मेरी कुछ सहेलियाँ घंटों-घंटों मोबाइल पर बातें करने में लगी रहती थीं। यह उनके टाइम पास करने का एक रोचक उपाय था। इस कारण न तो वे अपनी अन्य सहेलियों से बातें कर सकतीं थीं और न ही ठीक से पढ़ पातीं थीं। बाद में उन्हें महसूस होता था कि उनका काफी समय मोबाइल ने ही खा लिया है। मैंने शुरू से ही अपनी इस आदत पर नियंत्रण पा लिया था।
मैं तुम्हें यह बात इसलिए लिख रही हूँ क्योंकि मैंने ऐसे लोगों को बाद में पछताते हए देखा है। मैंने सोचा कि अपना यह अनुभव तुम्हें दे दूँ। बाकी तुम खुद बहुत समझदार हो। इसलिए तुम स्वयं अपने पर संयम रख लोगे। कुछ भी परेशानी और ज़रूरत हो तो मुझे लिखने में देर न लगाना।
तुम्हारी बहन
सलोनी
I hope u will like it