(MA बिना विचारे जो करे, सो पाछै पछताय काम बिगारै आपनो, जग में होत हँसाय ।। जग में होत हँसाय, चित्त में चैन न आवै। खान-पान-सनमान, राग-रंग मनहि न भावै।। कह गिरिधर कविराय, दुख कछु टरत न टारे । खटकत है जिय माँहि, कियो जो बिना विचारे ।। iska artha
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